Wildlife Sanctuaries Of Rajasthan राजस्थान के वन्य जीव अभ्यारण में एवं राष्ट्रीय उद्यान देश का सबसे अधिक दुर्लभ पक्षी गोडावन है जो राजस्थान के बीकानेर बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में अधिक संख्या में मिलता है राष्ट्रीय उद्यान 26 वन्य जीव अभयारण्य एवं 33 आखेट निषेध क्षेत्र घोषित किया जा चुके हैं भारतीय वन्यजीव कानून 1972 देश के सभी राज्यों में लागू है राज्य में बने प्राणियों के प्राकृतिक आवास को जानने के लिए दो संरचना के अनुसार प्रदेश को चार मुख्य भागों में बांटा जा सकता है आज इन्हीं के बारे में चर्चा करेंगे राजस्थान के वन्य जीव अभ्यारण में एवं राष्ट्रीय उद्यान के बारे में हम आपकोसरल व साधारण तरीके सेनोट्स प्रोवाइड करवा रहे हैं आप हमारे साथ बने रहे
राजस्थान के वन्य जीव अभ्यारण
- देश का सबसे अधिक दुर्लभ पक्षी गोडावन है जो राजस्थान के बीकानेर बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में अधिक संख्या में मिलता है
- राष्ट्रीय उद्यान 26 वन्य जीव अभयारण्य एवं 33 आखेट निषेध क्षेत्र घोषित किया जा चुके हैं
- भारतीय वन्यजीव कानून 1972 देश के सभी राज्यों में लागू है
- राज्य में बने प्राणियों के प्राकृतिक आवास को जानने के लिए दो संरचना के अनुसार प्रदेश को चार मुख्य भागों में बांटा जा सकता है
- मरुस्थलीय क्षेत्र
- पर्वतीय क्षेत्र
- पूर्वी तथा मैदानी क्षेत्र
- दक्षिणी क्षेत्र
- केवला देवी गना भरतपुर राष्ट्रीय उद्यान अंतर्राष्ट्रीय पार्क है जिसे पक्षियों का स्वर्ग कहा जाता है
- धार्मिक स्थलों के साथ जुड़े पूर्ण सदैव बनिया पशुओं के शरणा स्थल रहे हैं
- केंद्र सरकार द्वारा स्थापित पशु पक्षियों का स्थल राष्ट्रीय उद्यान व राज्य सरकार द्वारा स्थापित स्थल अभ्यारण कहलाता है
राष्ट्रीय उद्यान
रणथंबोर राष्ट्रीय उद्यान (सवाई माधोपुर)
यह राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान है जो सवाई माधोपुर जिले में 39200 हेक्टेयर क्षेत्र में सन 1957 58 में स्थापित किया गया था सन 1974 मेंविश्व वन्यजीव कोष द्वारा चलाए गए प्रोजेक्ट टाइगर में किसे सम्मिलित किया गया है
राज्य में सबसे पहले बात बचाओ परियोजना इस राष्ट्रीय उद्यान में प्रारंभ की गई थी
1 नवंबर 1980 को राज्य का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया
इस उद्यान में प्रमुख रूप से बाघ चिंतल नीलगाय एवं चिंकारा पाए जाते हैं
यह भारत का सबसे छोटा बाघ अभयारण्य है लेकिन इसे भारतीय बागो का घर कहा जाता है
राजस्थान में सर्वाधिक प्रकार के वन्य जीव किसी अभयारण्य में पाए जाते हैं
इस अभ्यारण में त्रिनेत्र गणेश जी का मंदिर तथा जोगी महल स्थित है जोगी महल से पर्यटन सामान्यतया बाघों को देखते हैं
इस अभयारण्य में राजबाग जुलाई सागर पद माला तालाब मलिक तालाब लहापुर एवं मानसरोवर इत्यादि सरोवर है
इस अभयारण्य के वनों में मिश्रित वनस्पति के साथ सर्वाधिक धोंक मुख्य रूप से पाई जाती है।
पिछले वर्षों में बाघों की घटती संख्या को लेकर यह अभयारण्य चर्चित रहा तथा विलुप्त हो रहे बाघों के लिए मिशन एंटीपोचिंग नामक अभियान चलाया गया है।
रणथम्भौर बाघ परियोजना के अंतर्गत विश्व बैंक एवं वैश्विक पर्यावरण सुविधा की सहायता से वर्ष 1996-97 से इण्डिया ईको डवलपमेंट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है।
केवलादेव घना पक्षी विहार
पूर्वी राजस्थान भरतपुर के दक्षिण-पूर्व में स्थित है।
1981 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया।
1985 में इसे यूनेस्को द्वारा विश्व प्राकृतिक धरोहर की सूची में शामिल कर लिया गया।
दुर्लभ सफेद साइबेरियाई सारस के शीतकालीन प्रवास का यह मुख्य आकर्षण स्थान है। इसके अलावा हंस, हंसावर, शुक, सारिका, चकवा, कोयल, चकवी, सारंग, गीज, लेपबिंग एवं रोजी पेलिकन पक्षियों के समूह पाए जाते हैं।
इस अभयारण्य में कुटू की घास साइबेरियन सारस का मुख्य खाद्य है।
लाल गर्दन के तोते भी अधिकाधिक संख्या में यहाँ पाये जाते हैं।
पक्षियों का स्वर्ग’ के नाम से प्रसिद्ध केवलादेव घना पक्षी विहार एशिया की सबसे बड़ी प्रजनन स्थली भी है।
विश्व धरोहर जैव विविधता संरक्षण कार्यक्रम के अन्तर्गत यूनेस्को ने केवलादेव घना पक्षी विहार को सम्मिलित किया है।
अभयारण्य में स्थित पाइथन पोइंट्स पर अजगर देखे जा सकते हैं
घना पक्षी विहार राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर शहर से दो कि.मी. उत्तर पूर्व में आगरा-बीकानेर राजमार्ग पर 29 कि.मी. वर्ग क्षेत्र में विस्तृत है।
इसमें 300 से अधिक पक्षियों की जातियाँ हैं जिसमें 200 जातियाँ विदेशी हैं।
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मुकुन्दरा हिल्स नेशनल पार्क (कोटा)
यह कोटा से 50 कि.मी. दूर कोटा-झालावाड़ मार्ग पर स्थित है।
यह 199.55 वर्ग किमी. क्षेत्र में विस्तृत है।
जन्तुओं के अवलोकन स्तंभों को रियासती जमाने में औदिया कहा जाता था।
दर्रा अभयारण्य की मुकंदरा पहाड़ियों में आदिमानव के शैलाश्रय एवं उनके द्वारा चित्रांकित शैलचित्र मिलते हैं
नोटः राजस्थान सरकार ने 9-1-12 में दर्रा एवं चम्बल घड़ियाल (जवाहर सागर) अभयारण्य को संयुक्त रूप से राष्ट्रीय अभयारण्य बनाने की अधिसूचना जारी की है।
अमला मीणी महल : यह कोटा नरेश राव मुकुंद सिंह द्वारा स्थापित किया गया है। यहाँ पर गुप्तकालीन मंदिर के खण्ड्हर (भीम चोरी) भी है।
दर्रा अभयारण्य एवं जवाहरसागर अभयारण्य को मिलाकर मुकुन्दरा हिल्स नेशनल पार्क घोषित किया गया है।
इसके पास में हूणों द्वारा बनवाया बाड़ौली का प्रसिद्ध शिव मंदिर है। (मंदिर चित्तौड़गढ़ जिले में है।)
इसके पास में सांभर, नीलगाय, चीतल, हिरण और जंगली सूअर पाए जाते हैं।
10 अप्रेल 2013 को मुकुन्दरा हिल्स में कोटा, झालावाड़, बूँदी तथा चित्तौड़गढ़ जिले का क्षेत्र मिलाकर बाघ बचाओ परियोजना लागू कर दी गई है
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