Rasayanik Padarth PART 3 रासायनिक पदार्थ क्या है रासायनिक पदार्थ किसे कहते हैं रासायनिक पदार्थ में कौन-कौन सी धातु आती है इन सभी के बारे में आज हम चर्चा करने वाले हैं रासायनिक पदार्थ रासायनिक पदार्थ व पदार्थ होते हैं जिनकी संरचना और विशिष्ट गुना वाला पदार्थ का एक अनूठा रूप होता है रासायनिक पदार्थ रासायनिक यौगिक किया एक तत्व का रूप ले सकते हैंयदि दो या दो से अधिक रासायनिक पदार्थों को बिना प्रतिक्रिया किए जोड़ा जा सकता है तो वह एक रासायनिक मिश्रण बना सकते हैं आज इस आर्टिकल के माध्यम सेहम रासायनिक पदार्थों के बारे में चर्चा करेंगे जो भी विद्यार्थी कॉम्पिटेटिव एक्जाम के लिए तैयारी कर रहा है उनके लिए आज का यह लेख बहुत ही उपयोगी होने वाला है तो आप हमारे साथ बने रहे.
ऑक्साइड
किसी तत्व के ऑक्सीजन के साथ क्रिया करने से बने यौगिक ऑक्साइड कहलाते है पृथ्वी की सतह का अधिकांश भाग ऑक्साइड से बना है हाइड्रोजन का ऑक्साइड पानी (H₂O) पृथ्वी पर बहुत बड़ी मात्रा में है।
कार्बन डाई आक्साइड (CO₂)
यदि कार्बन अथवा इसके यौगिकों को ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में जलाया जाता है तो कार्बन का अन्य ऑक्साइड कार्बन डाई ऑक्साइड गैस के रूप में प्राप्त होता है।
C+ 02 – CO₂
पर्याप्त ऑक्सीजन कार्बन डाई ऑक्साइड
गहरे कुएँ, गुफाओं, खदानों, चूने के भट्टों के निकट यह अधिक मात्रा में पाई जाती है। CO₂ गैस श्वसन, दहन एवं किण्वन की क्रियाओं से भी उत्पन्न होती है।
कार्बन डाई ऑक्साइड के गुण
- यह रंगहीन तथा गंधहीन गैस है।
- यह जल में अल्प विलेय है।
- वायु में उपस्थित मुख्य अवयवी गैसों के अणुभार की तुलना में CO, का अणुभार अधिक होने से यह वायु से भारी होती है।
- यह कार्बन मोनो ऑक्साइड के समान विषैली नहीं होती है।
- CO, आम्लीय प्रकृति की होती है तथा जल में विलेय होकर कार्बोनिक अम्ल बनाती है।
उपयोग
- शीतल पेय तथा सोडा वाटर बनाने में CO, गैस का उपयोग किया जाता है। इसके लिए उत्त्व दाब पर इस गैस को पानी में विलेय किया जाता है।
- शुष्क बर्फ (ठोस कार्बन डाइ ऑक्साइड) का उपयोग प्रशीतक के रूप में होता है।
- सोडियम कार्बोनेट, कैल्सियम कार्बोनेट आदि बनाने में।
- अयस्कों के शोधन में।
- आग बुझाने में।
- पेड़ पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण में।
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
कार्बन को ऑक्सीजन की अल्पमात्रा की उपस्थिति में जलाने पर कार्बन मोनोऑक्साइड प्राप्त होती है।
कार्बन मोनो ऑक्साइड रंगहीन मीठी गंधयुक्त विषैली गैस है और तथा जल में अल्प विलेय है।
यह कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस, श्वसन द्वारा रक्त में उपस्थित हीमोग्लोबिन के साथ संयुक्त हो जाती जिससे रक्त की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता कम होने लगते है और मनुष्य का दम घुटने से उसकी मृत्यु हो जाती है।
सर्दियो के दिनों में बन्द कमरे में अंगीठी जलाकर सोने से या कार इड का इंजन चालू कर कार के दरवाजे बंद करके सो जाने से व्यक्तियों की बड़ी मृत्यु जा जाती है क्योंकि कोयला, डीजल, पेट्रोल, केरोसीन या किसी भी कार्बन के यौगिक के दहन से उसमें उपस्थित कार्बन, वायुमण्डल की ऑक्सीजन की ऑक्सीजन से क्रिया कर कार्बन के ऑक्साइड रात्रा बनाता है जब वायु में ऑक्सीजन की अपर्याप्त मात्रा में कार्बन जलता है तो इसके ऑक्साइड के रूप में कार्बन मोनो ऑक्साइड नामक विषैली गैस बनती है।
उपयोग-
- कार्बन मोनो ऑक्साइड का उपयोग भाप अंगार गैस (CO+H₂) एवं वायु अंगार गैस (CO+N₂) एवं वायु अंगार गैस बनाने में होता है
- धातुओं के निष्कर्षण में।
- रंजन उद्योग में
अन्य ऑक्साइड
अम्लीय ऑक्साइड-जो ऑक्साइड क्षारक से क्रिया करके लवण और जल बनाते है, वे अम्लीय ऑक्साइड कहलाते है। जैसे- कार्बन डाईऑक्साइड (CO₂) सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) आदि।
क्षारीय ऑक्साइड वे ऑक्साइड जो अम्ल के साथ क्रिया करके लवण तथा जल बनाते हैं, क्षारीय ऑक्साइड कहलाते है। जैसे- मैग्नेशियम ऑक्साइड (MgO), कॉपर ऑक्साइड (CuO) आदि।
उभयधर्मी ऑक्साइड वे ऑक्साइड जो क्षार व अम्ल के साथ क्रिया करके लवण तथा जल बनाते है, उभयधर्मी ऑक्साइड कहलाते है। जैसे- एल्युमिनियम ऑक्साइड (AI,O,) जिंक ऑक्साइड (ZnO) आदि।
उदासीन ऑक्साइड– वे ऑक्साइड जो क्षार व अम्ल किसी से भी क्रिया करके लवण तथा जल नहीं बनाते, उदासीन ऑक्साइड कहलाते है। जैसे- जल (H₂O), नाइट्रिक ऑक्साइड (NO), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) आदि।
उच्चतर ऑक्साइड– वे ऑक्साइड जिनमें संयोजकता से अधिक ऑक्सीजन होती है, उन्हें उच्चतर ऑक्साइड कहते है। इन्हें दो भागों में बाटा गया है-
- परॉक्साइड- यह वह ऑक्साइड है जिसमें संयोजकता के अनुसार जितनी ऑक्सीजन की मात्रा होनी चाहिए, उससे अधिक हो परन्तु तनु खनिज अम्लों के साथ क्रिया करने पर हाइड्रोजन परॉक्साइड दें। जैसे- Na₂O, आदि।
- पॉलीऑक्साइड यह ऑक्साइड भी परॉक्साइड की तरह संयोजकता के अनुसार जितनी ऑक्सीजन होनी चाहिए उससे अधिक रखते है, परंतु ये तनु खनिज अम्लों के साथ क्रिया करने पर हाईड्रोजन परॉक्साइड नहीं देते है। जैसे-मैग्नीज ऑक्साइड (MnO₂) लैड परॉक्साइड (PbO₂) आदि।
कार्बन ईंधन
वे सभी पदार्थ जो जलने पर अत्यधिक मात्रा में ऊष्मा उत्पन्न करते हैं, ईंधन कहलाते हैं।
ईंधन तीन प्रकार के होते हैं –
- ठोस ईंधन
- द्रव ईंधन
- गैस ईंधन
ठोस ईंधन लकड़ी, कोयला, कोक आदि। ये जलने पर कार्बन- डाई आक्साइड़, कार्बन मोनो आक्साइड व ऊष्मा उत्पन्न करते हैं। कोक में कार्बन की मात्रा 98% होती है।
द्रव ईंधन-पेट्रोलियम, केरोसीन, डीजल, पेट्रोल, एल्कोहल आदि। ये हाइड्रो कार्बन का मिश्रण होते हैं जलने पर कार्बनडाई आक्साइड व जल का निर्माण करते हैं।
गैस ईंधन-प्राकृतिक गैस, भाप अंगार गैस, वायु अंगार गैस आदि है।
कोयला, पेट्रोल तथा प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन के उदाहरण है-
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ठोस ईंधन कोयला
सामान्यतः लकड़ी के जले हुए अंश को कोयला कहा जाता है और खनिज पदार्थ भी कोयला कहलाता है ईंधन के अलावा कोयले का प्रयोग रबर टायर ट्यूब जूते पेंट औरपुलिस के निर्माण में किया जाता है वनस्पति पदार्थ का कोयला में परिवर्तन कार्बनिक कारण कहलाता है
कार्बनिक कारण के आधार पर कोयला चार प्रकार का होता है
- पीट
- लिग्नाइट
- बीटूमिंस
- एंथ्रेसाइट
पीट – यह वनस्पति कोयला है जिसे प्रथम अवस्था का कोयला कहते हैं
- इसका रंग भंगुर तथा बुरे रंग का होता है
- इसमें आद्रता अधिक होती हैं जलने पर धूआ अधिक व ऊष्मा कम देता है औद्योगिक दृष्टि से यह निम्न कोटि का कोयला है
- इसमें कार्बन की मात्रा 50 से 60% होती है तथा इसमें जीवाश्मों की मात्रा सर्वाधिक होती है
लिग्नाइट – यह पीट के कोयले का प्रथम क्रम है इसमें कास्ट कोशिकाएं दिखाई देती हैं
- यह भूरे रंग का कोयला है इसमें कार्बन की मात्रा 60 से 70% होती है
- यह जलने पर आग़ की लंबी लपटे देता है
बिटुमिनस
- यह सगन कठोर काला चमकीला कोयला है
- इसमें कार्बन की मात्रा 70 से 80% होते हैं
- इसमें वाष्पशील पदार्थ की मात्रा अधिक होती है
एंथ्रेसाइट
- इस कोयले का निर्माण अंतिम अवस्था में हुआ
- यह काला कठोर भगूर प्रकृति का कोयला है
- यह नीली ज्वाला देता है रख कम देता है इसमें कार्बन की मात्रा 85 से अधिक होती हैं
- इसमें वाष्पसील अंश कम होने से अत्यधिक ऊष्मा प्रदान करता है
कोयले के उपयोग
- संश्लेषित पेट्रोल के निर्माण में
- ईंधन के रूप में
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Rasayanik Padarth Part 2 | रासायनिक पदार्थ नोट्स इन हिंदी पार्ट 2
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