Prakrutik Sansadhan Or Sansadhanon Ka Vargikaran प्राकृतिक संसाधन व संसाधनों का वर्गीकरण यहां से जाने संपूर्ण जानकारी

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Prakrutik Sansadhan Or Sansadhanon Ka Vargikaran प्राकृतिक संसाधन वे कच्चे माल और ऊर्जा के स्रोत हैं जिनका हम उपयोग करते हैं।पेट्रोल, धातु, मिट्टी, रेत, हवा, पानी और इनके बीच की हर चीज़ प्राकृतिक संसाधन हैं। प्लास्टिक, शीट मेटल, कपड़े, माइक्रोचिप्स, बिजली और कंक्रीट जैसी निर्मित वस्तुएं प्राकृतिक संसाधन नहीं हैं, लेकिन निश्चित रूप से प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त होती हैं।प्राकृतिक संसाधनों और निर्मित उत्पादों के बीच संबंध के बारे में सोचें। संक्षेप में, हम उन्हें “प्राकृतिक” संसाधन कहते हैं क्योंकि वे ऐसी चीजें हैं जिनका मानव समाज उपयोग करता है जो मानव हस्तक्षेप के बिना निर्मित (या जीवाश्म ईंधन के मामले में बनाई गई थींप्राकृतिक विज्ञान प्रकृति और भौतिक दुनिया का व्यवस्थित ज्ञान ही प्राकृतिक विज्ञान कहलाता हैसंसाधनसजीवों को जीवित रहने के लिए जिन पदार्थों की आवश्यकता होती है उन्हें संसाधन कहते हैं संसाधन का अंग्रेजी पर्याय resource रिसोर्स का अर्थ है दीर्घकालीन साधनइस प्रकार संसाधन में स्रोत हैं जिस पर दीर्घ अवधि तक मानव समाज निर्भर रहता है.

Prakrutik Sansadhan Or Sansadhanon Ka Vargikaran

प्राकृतिक संसाधन

प्राकृतिक संसाधन वे सभी पदार्थ जो पर्यावरण में उपस्थित थे एवं सजीवों के जीवन प्रभाव के लिए आवश्यक है उन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं जिनमें वायु पानी झील नदी और कुआं मृग भूमि वन खनिज जीवाश्म ईंधन इत्यादि है.

संसाधनों का वर्गीकरण

अनव्यकरणीय संसाधन इस श्रेणी में वे सभी संसाधन आते हैं जिन्हें पुन: उत्पादित नहीं किया जा सकता है इसकी सीमित मात्रा होती है उदाहरण कोयले का दहन एक ही बार किया जा सकता है पृथ्वी में पाई जाने वाले सभी खनिज और अयस्क इस तरीके संसाधनों के उदाहरण है इन्हें बनने में करोड़ों वर्ष की अवधि, अत्यधिक दबाव और उच्च तापमान की आवश्यकता होती है इसके अलावा भी इन्हें कई अलग-अलग प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है इसके बाद इनका मानव द्वारा उपयोग किया जा सकता है चूंकि मानव द्वारा ऐसी स्थिति बन पाना संभव नहीं है इस कारण ऐसे संसाधनों को दोबारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है सीमित मात्रा तथा अनियंत्रित उपयोग के कारण यह संसाधन धीरे-धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर है इनकी प्रकृति चक्रीय है अर्थात इनका पुनर्भरण नहीं किया जा सकता खनिज कोयला पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस नाभिकीय ऊर्जा आदि संसाधन अनवियकरणिय संसाधन है 

  • अनव्यकरणीय / गैर नवकरणीय ऊर्जा
  • कोयला
  • पेट्रोलियम डीजल केरोसिन पैट्रोल आदि
  • प्राकृतिक गैस
  • सेल गैस
  • नाभिकीय ऊर्जा

कोयला – कोयला बहुत आयात में पाए जाने वाला गैर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है कोयले से विद्युत ऊर्जा प्राप्त की जाती है जिसकी गुणवत्ता इसमें उपस्थित कार्बन की मात्रा पर निर्भर करती हैं

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पेट्रोलियम –पेट्रोलियम हाइड्रोजन तथा कार्बन का योग है यह अवसादी सेलों की परतों के मध्य भाग पाया जाता है पेट्रोलियम को तटीय एवं तटीय क्षेत्रों में निकाला जाता है तत्पश्चात इसका परिष्करण किया जाता है इससे विभिन्न प्रकार के उत्पाद जैसे डीजल मिट्टी का तेल मॉम प्लास्टिक आदि बनते हैं 

प्राकृतिक गैस – प्राकृतिक गैस हाइड्रोकार्बन का मिश्रण होती है जिसमें मुख्यतः मीथेन गैस पाई जाती है यह गैस प्राकृतिक रूप से पेट्रोलियम के साथ पाई जाती हैं जिसे परिष्करण प्रक्रिया के पश्चात पेट्रोलियम से अलग किया जाता है

प्राकृतिक गैस दो रूपों में पाई जाती हैं-

संपीड़ित प्राकृतिक गैस

यह सामान्य वायुदाब पर प्राकृतिक गैस के बराबर आयतन गेरती है इसके आयतन को लगभग एक प्रतिशत तक संपीड़ित करके सीएनजी का निर्माण किया जाता है सीएनजी सामान्य प्राकृतिक गैस की तुलना में अधिक पर्यावरण अनुकूल होती है इसे कारो तथा ट्रेन के इंजनों में ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है

द्रवीकृत प्राकृतिक गैस

प्राकृतिक गैस को 160 डिग्री सेल्सियस तापमान तक ठंडा करने पर यह द्रव अवस्था में परिवर्तित हो जाती हैं इस सामान्य प्राकृतिक गैस के आयतन की तुलना में 600 गुना कम आयतन गिरती है

पाइपलाइन परिवहन की सुविधा उपलब्ध न होने पर विशिष्ट टांका में प्राकृतिक गैस का द्रवीकृत रूप में परिवहन सरल एवं सुरक्षित होता है

सेल गैस चट्टान गैस

सेल गैस प्राकृतिक गैस के गैर परंपरागत स्रोतों में से एक ही यह चट्टानों के मध्य फांसी हुई पाई जाती है प्राकृतिक गैस की तरह सेल गैस छिद्र में चट्टानों से होते हुए ऊपर नहीं आती बल्कि एक विशेष स्थान पर फस कर रह जाती हैं

सेल गैस के दोहन के लिए क्षितिज ड्रिलिंग और हाइड्रोकार्बन विघटन तकनीक का प्रयोग किया जाता है इसके दोहन में मुख्य चुनौती भूमिगत जल से प्रदूषित होने की है

नवकरणीय संसाधन

वे समस्त संसाधन जिनको भौतिक रासायनिक या यांत्रिक क्रियो द्वारा नवीकृत किया जा सकता है नवीकरण संसाधन कहलाती यह संसाधन प्रकृति में असीमित मात्रा में विद्यमान है और उनका पुनः भ्रमण किया जा सकता है उपभोग के कारण कभी भी पूर्ण रूप से खत्म न होने की विशिष्ट गुण के कारण इन्हें अक्षय ऊर्जा स्रोत भी कहा जाता है जैसे वनों के एक क्षेत्र के काटे जाने के उपरांत नए क्षेत्र इन्हें पुणे उत्पादित कर देते हैं

नवकरणीय ऊर्जा संसाधन

  • सौर ऊर्जा
  • जल विद्युत ऊर्जा
  • भूतापीय ऊर्जा
  • जैव भार जीव ईंधन
  • हाइड्रोजन ऊर्जा
  • पवन ऊर्जा
  • महासागरीय ऊर्जा

सौर ऊर्जा  का प्राथमिक स्रोत है सूर्य का प्रकाश एक स्वच्छ एकदम कभी न समाप्त होने वाला ऊर्जा स्रोत है  यह लगभग पूरे वर्ष उपलब्ध रहने वाला प्राकृतिक एवं निशुल्क ऊर्जा संसाधन है जो असीमित मात्रा में उपलब्ध हैं यह गैर प्रदूषण कार्य है जो उपयोग के दौरान किसी प्रकार के हानिकारक प्रदोष को अथवा हरि गृह गैसों का उत्सर्जन नहीं करता है यह जीवाश्म इंधनों पेट्रोलियम के विपरीत अंतरराष्ट्रीय राजनीति के प्रभाव मूल्य के उतार चढ़ाव से मुक्त हैं 

पवन ऊर्जा पवन नवीकरणीय ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है इसकी गतिज ऊर्जा को पवन चक्की से जुड़ी टरबाइन द्वारा यांत्रिक ऊर्जा में तथा यांत्रिक ऊर्जा को जनरेटर की सहायता से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है देश में सर्वाधिक पवन टरबाइन तमिलनाडु में ओपन डाल पेरू गुड्डी कन्याकुमारी के निकट में स्थापित किया गया है महाराष्ट्र का सातारा जिला पवन ऊर्जासंयंत्र के लिए प्रसिद्ध है

जल विद्युत ऊर्जा टरबाइन के ऊपर ऊंचाई से जल प्रवाहित करने पर टरबाइन द्वारा जल की गतिज ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित कर दिया जाता है जो विद्युत जनरेटर द्वारा विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित कर दी जाती हैं सस्ता स्वच्छ ऊर्जा स्रोत तथा पर्यावरण अनुकूल ही अर्थात इसका उत्पादन में हानिकारक गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है विश्व के कुल ऊर्जा उत्पादन का एक चौथाई भाग जल विद्युत से उत्पादित किया जाता है

महासागरीय ऊर्जा पृथ्वी की सतह के लगभग 70% भाग पर महासागरीय का विस्तार है जो ऊर्जा का व्रत भंडार है

तरंग ऊर्जा समुद्र में उत्पन्न लहरों की गतिज ऊर्जा को टरबाइन की सहायता से विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाताहै

ज्वारीय ऊर्जा चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण पृथ्वी पर स्थित महासागरों में प्रति 12 घंटे ज्वारीय चक्र उत्पन्न होता है

भूतापीय ऊर्जा पृथ्वी के आंतरिक भागों में उत्पन्न ताप का प्रयोग करके उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भी तापीय ऊर्जा कहते हैं जब पृथ्वी के आंतरिक भाग में मैग्मा निकलता है तो अत्यधिक ऊष्मा मुक्त होता है इस तापीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है.

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