Petroleum Or Prakratik Gas | पेट्रोलियम तथा प्राकृतिक गैस नोट्स इन हिंदी

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Petroleum Or Prakratik Gas

Petroleum Or Prakratik Gas रासायनिक पदार्थ क्या है रासायनिक पदार्थ किसे कहते हैं रासायनिक पदार्थ में कौन-कौन सी धातु आती है इन सभी के बारे में आज हम चर्चा करने वाले हैं रासायनिक पदार्थ रासायनिक पदार्थ व पदार्थ होते हैं जिनकी संरचना और विशिष्ट गुना वाला पदार्थ का एक अनूठा रूप होता है रासायनिक पदार्थ रासायनिक यौगिक किया एक तत्व का रूप ले सकते हैंयदि दो या दो से अधिक रासायनिक पदार्थों को बिना प्रतिक्रिया किए जोड़ा जा सकता है तो वह एक रासायनिक मिश्रण बना सकते हैं आज इस आर्टिकल के माध्यम सेहम रासायनिक पदार्थों के बारे में चर्चा करेंगे जो भी विद्यार्थी कॉम्पिटेटिव एक्जाम के लिए तैयारी कर रहा है उनके लिए आज का यह लेख बहुत ही उपयोगी होने वाला है तो आप हमारे साथ बने रहे

Petroleum Or Prakratik Gas

द्रव ईंधन

पेट्रोलियम

पेट्रोलियम शब्द का निर्माण पेट्रो अर्थात चट्टान और ओलियम यानी कि तेल से मिलकर बना हुआ है इसलिए इस चट्टानी तेल या खनिज तेल भी कहते हैं पेट्रोलियम को जीवाश्म तेल भी कहा जाता है

पेट्रोलियम कई प्रकार के हाइड्रोकार्बन का मिश्रण है

पृथ्वी से खनिज तेल का खनन करते समय प्राकृतिक गैस को भी ईंधन के रूप में प्राप्त किया जाता है

पेट्रोलियम प्राकृतिक ईंधन का उदाहरण है

पेट्रोलियम का खनन

पेट्रोलियम विभिन्न गहराई एवं स्थान पर पाया जाता है और जो पृथ्वी सतह से 500 से 15000 फीट की गहराई तकपाया जाता है इस कृत्रिम खुदाई द्वारा पृथ्वी के गर्त से बाहर लाया जाता है

पेट्रोलियम शोधन

पेट्रोलियम में उपस्थित विभिन्न प्रभाजों को प्रभाजी आसवन द्वारा पृथक करना पेट्रोलियम शोधन कहलाता है

विशुद्धीकरण 

सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ उपचार गैसोलीना केरोसिन तेल प्रभाज का सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ हिलते हैं इससे एरोमेटिक यौगिक जैसे थिओफीन तथा अन्य सल्फर योग जो गैसोलीन एवं केरोसीन की विशिष्ट गंध देते हैं उन्हें दूर किया जाता है और इसको संशारक भी बनाया जाता है

अधिशोषको के साथ उपचार

विभिन्न प्रभावों कोएलुमिना सिलिका या क्ले जैसे अधिशोस्को के ऊपर प्रवाहित करते हैं जिससे अनैच्छिक योग अधिशोषित हो जाते हैं 

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पेट्रोल या गैसोलीन के निर्माण की कृत्रिम विधि

भंजन यह वह विधि है जिसमें उच्च क्वथनांक वाले प्रभाजों जिसमें उच्चतर हाइड्रोकार्बन होते हैं को उच्च ताप पर तीव्रता से गर्म करते हैं जिससे यह विघटित होकर निम्न क्वथनांक वाले निम्न तार हाइड्रोकार्बन देते हैं इस भंजन को निम्नलिखित दो प्रकार से करते हैं 

द्रव प्रावस्था भंजन

इस प्रक्रम में भारी तेल या अवशेषी तेल उच्च ताप 475 से 530 डिग्री सेल्सियस तथा उच्च दाब 7 से 70 वायुमंडलीय दाब पर भंजित  करते हैं उच्च दाब उत्पाद को द्रव प्रावस्था में रखता है यह परिवर्तन लगभग 70% होता है तथा परिणामी पेट्रोल की ऑब्टेन संख्या परस 65 से 70 के मध्य होती है

यह भंजन कुछ उत्प्रेरक जैसे सिलिका जिंक ऑक्साइड टाइटेनियम ऑक्साइड फेरिक ऑक्साइड तथा एलुमिना आदि की उपस्थिति में संपन्न होता है पेट्रोल की अधिक मात्रा उत्प्रेरक की  स्थिति में प्राप्त होती है 

वाष्प प्रावस्था भंजन इस प्रक्रम में केरोसिन तेल या गैस तेल की वाष्प प्रावस्था में वांछित करते हैं इसमें 600 से 800 डिग्री सेल्सियस ताप रखा जाता है तथा दाब 3.5 से 10.5 वायुमंडलीय रखा जाता है यह भंजन किसी उचित उत्प्रेरक की उपस्थिति में संपन्न होता है और प्राप्त मात्रा 70% होती हैं

क्रूड पेट्रोलियम के प्रत्यक्ष आसवन से प्राप्त पेट्रोल की अपेक्षा भंजन से प्राप्त पेट्रोल श्रेष्ठ होता है जो इसकी उच्च संख्या पर आधारित है भंजन के दौरान प्राप्त छोटे हाइड्रोकार्बन के अल्कालीकरण एवं बहुलीकरण द्वारा भी पेट्रोल प्राप्त होता है जैसे उत्तर प्रेरकों की उपस्थिति में पॉलिथीन बहुलीकृत होती है छोटी पॉलिफीन बहुलीकृत होकर 6 से 8 कार्बन परमाणु वाले अनु बनती हैं और उन्हें हाइड्रोजनीकरण द्वारा पेट्रोल में बदल जाता है

अप्सफोटन

इंजन में ईंधन के अनियमित दहन से उत्पन्न धात्विक ध्वनि को अप्सफोटन कहते हैं

अप्सफोटनरोधी योगिक 

ईंधन के अप्सफोटन गन को कम अथवा उसकी ऑक्टेन संख्या को बढ़ाने के लिए इसमें कुछ रसायन मिलाए जाते हैं उन्हेंअप्सफोटनरोधी योगक कहते हैं इसके लिए मुख्यतः टैंटरा अथिललेड का उपयोग किया जाता है जो निम्नलिखित पदार्थों का मिश्रण होता है

प्लेश बिंदु

एक न्यूनतम तापमान जिस पर तेल वायु के साथ विस्फोटक मिश्रण बनाने के लिए पर्याप्त वाष्प देता है तेल का प्लेश बिंदु कहलाता है

पेट्रोरसायन

वे सभी रसायन जिनको पेट्रोलियम या प्राकृतिक गैस से यूथपित किया जाता है पेट्रो रसायन कहलाते हैं

अधिक ओक्टैन संख्या वाला ईंधन अच्छा माना जाता है

प्राकृतिक गैस

पृथ्वी की गहराई में पेट्रोलियम की ऊपरी परत के रूप में पाई जाने वाली गैसों को प्राकृतिक गैस कहते हैं अर्थात पेट्रोलियम का जाप प्रभाजी आसवन किया जाता है तो पेट्रोलियम के पृथक पृथक अव्ययियों के साथ मुक्त होने वाली गैसों को पेट्रोलियम गैस से कहते हैं यह मेथेन एथेन प्रोपने बुटाने निम्न क्वथनांक वाले पेंटिंग एक्सचेंज की वाष्प तथा नाइट्रोजन आदि का मिश्रण है

द्रवित पेट्रोलियम गैस एलपीजी

  1. इस गैस का मुख्य घटक प्रोपेन ब्युटेन 80 से 85% है
  2. इसमें बटन का अनुपात अधिक होता है तथा अन्य गैस से जैसे एथेन प्रोपेन पेंटेन तथा आइसोबूटने आदि का मिश्रण होता है इन गैसों को उच्च दाब पर संपीड़ित का द्रव में बदल जाता है जिससे लिक्विड पेट्रोलियम गैस या एलपीजी कहा जाता है
  3. यह पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस के प्रभाजी की आसवन से प्राप्त होती हैं
  4. एलपीजी रसोई गैस के रूप में उपयोग में आती है अतः इसे खाना पकाने वाली गैस कुकिंग गैस भी कहते हैं
  5. एलपीजी में गंध हेतु मिठाईमर कैप्टन नामक पदार्थ को मिलाया जाता है इस पद्धति की गंध के कारण ही एलपीजी गैस के रिशाव का पता लगाते हैं 

सी.एन.जी CNG

संपीड़ित प्राकृतिक गैस का संक्षिप्त नाम सीएनजी है प्राकृतिक गैस को जब उच्च ताप पर संपीड़ित किया जाता है तो उसे संपीड़ित प्राकृतिक गैस कहते हैं यह एलपीजी से भिन्न होती हैं

सीएनजी की मुख्य विशेषताएं

  • सीएनजी में मुख्यतः मेथेन एवं कुछ अन्य हाइड्रोकार्बन होते हैं
  • सीएनजी में कार्बन की प्रतिष्ठा कम होती है अतः इसके दहन से बनने वाली को तथा CO2 की मात्रा भी कम होती है इसलिए पर्यावरण की दृष्टि से यह गैस अन्य पेट्रोलियम उत्पादों से बेहतर है
  • सुरक्षा की दृष्टि से भी यह गैस अधिक उपयोगी है क्योंकि यह एलजी की तुलना में हल्की होती है हल्की होने के कारण यह वायु में फैल जाती हैं जबकि एलजी भारी होने के कारण नीचे की सतह में एकत्र हो जाती है

उपयोग

  • ईंधन के रूप में
  • वर्तमान में महासागरों में चलने वाले वाहनों में

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