Paryavaran Pradushan Vayu Pradushan Nyantran Ke Upay पर्यावरण प्रदूषण वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय जाने संपूर्ण जानकारी

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Paryavaran Pradushan Vayu Pradushan Nyantran Ke Upay

Paryavaran Paryavaran Ke Prakar Vayu Pradushan Nyantran Ke Upay पर्यावरण एक ऐसा महत्वपूर्ण तत्व है जो हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह हमारे चारों ओर के सभी प्राकृतिक और अजीव चीजों का समूह होता है, जो हमारे जीवन को संभालता है और हमारे जीवन को प्रभावित करता है. पर्यावरण का अंग्रेजी समानार्थी शब्द “Environment” है. Environment शब्द फ्रेन्च भाषा के शब्द ‘Environer’ से बना है जिसका तात्पर्य आस-पास के आवरण से है. हिन्दी में पर्यावरण शब्द दो शब्दों की सन्धि से निर्मित है. परि और आवरण, जिसका अर्थ है ‘चारों ओर ढंके हुए है’. अतः पृथ्वी के चारों ओर जीवधारियों तथा वनस्पतियों के चारों ओर जो आवरण है, उसे पर्यावरण कहते हैं. इस दृष्टि से एक सत्ता दूसरे के लिए पर्यावरण है |

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पर्यावरण

पर्यावरण के प्रकार – पर्यावरण को मुख्य रूप से दो प्रकार में वर्गीकृत किया जा जाता  है

  1. सामाजिक पर्यावरण
  2. प्राकृतिक पर्यावरण

सामाजिक पर्यावरण का मुख्य घटक समाज है एवं अन्य जैविक एवं अजैविक कारक प्राकृतिक पर्यावरण के घटक है

सामाजिक पर्यावरण सामाजिक पर्यावरण सामाजिक संबंधों की अंतर क्रिया से प्रकट होता है आपसी सद्भाव सामंजस्य अच्छे पड़ोसी का धर्म धैर्य सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा बड़ों के प्रति सम्मान सकारात्मक सोच आदि महत्वपूर्ण कारक स्वस्थ सामाजिक पर्यावरण के लिए आवश्यक है हमारे आसपास के परिवेश में पाए जाने वाले पेड़ पौधे जीव जंतु वायु जल मृदा आदि मिलाकर प्राकृतिक पर्यावरण का निर्माण करते हैं सजीवों का यह पर्यावरण प्राकृतिक भौतिक रासायनिक एवं जैविक रूप में हो सकता है पर्यावरण में प्राणी वनस्पति एवं उससे संबंध कारक जैसे प्रकाश वायु जल मृदा ध्वनि एवं आद्रता शामिल है पर्यावरण को जीव मंडल भी कहते हैं इसमें जलमंडल वायुमंडल एवं स्थलमंडल आते हैं पर्यावरण में वे सभी वस्तुएं आती हैं जो सजीवों को गैरे रहती है एवं उनके जीवन को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करती है

पर्यावरण के अंतर्गत दो घटक आते हैं-

  1. जैविक घटक
  2. अजैविक घटक

जैविक घटक जैविक घटक में प्राणी पादप सूक्ष्मजीव एवं मानव शामिल है

अजैविक घटक अजैविक घटक में वायु जल मृदा तापमान आर्द्रता स्थलाकृति आदि आते हैं पर्यावरण के घटक एक साथ कार्य करते हैं आपस में समन्वयक रखने एवं एक दूसरे के प्रभाव को रूपांतरित भी करते हैं पर्यावरण अध्ययन में इसके विभिन्न घटकों की अध्ययन और उनका संवर्धन संरक्षण एवं प्रबंधन शामिल है

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पर्यावरण संरक्षण

प्राकृतिक पर्यावरण के जैविक व अजैविक घटक व सामाजिक पर्यावरण परस्पर आश्रित है इनका एक दूसरे पर आश्रित होना ही प्रकृति चक्र का आधार है इस प्रकृति को बनाए रखना ही पर्यावरण संरक्षण है.

पर्यावरण संरक्षण में राजस्थान की भूमिका

पर्यावरण संरक्षण के लिए राजस्थान में किए गए प्रयासों का प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित है-

जोधपुर जिले के खेजड़ली ग्राम का उदाहरण वृक्ष बचाओ के अद्भुत प्रयास में अमृता देवी उनकी पत्निया व ग्राम वासियों सहित कुल 363 लोग बलिदान हो गई हर वर्ष उनकी याद में भाद्रपद शुक्ल दशमी को खेजड़ली ग्राम में मेले का आयोजन किया जाता है

राजसमंद जिले के पिपलांत्री ग्राम पिपलांत्री ग्राम की किरण निधि संस्था द्वारा एक अभियान चलाया जाता है जिसके अंतर्गत ग्राम में पुत्री के जन्म को उत्सव के रूप में मनाया जाता है तथा इस दिन ग्राम वासियों द्वारा 111 पौधे लगाए जाते हैं यह वृक्षारोपण द्वारा पर्यावरण संरक्षण का अनूठा व सकल प्रयोग है

पर्यावरण प्रदूषण

ऑक्सफोर्ड अंग्रेजी शब्दकोश में प्रदूषण पॉल्यूशन तथा प्रदूषण करने वाले शब्दों के अर्थ नियम अनुसार है

  1. पोल्यूट – प्रदूषण करना
  2. पॉल्यूशन – प्रदूषण

पोल्यूट– प्रदूषण करना शुद्धता अथवा पवित्रता को नष्ट करना जल आदि को बदबूदार एवं गंदा करना

पॉल्यूशन प्रदूषण प्रदूषित करने का कार्य प्रदूषण वायु जल मृदा जीव जाट आदि की भौतिक रासायनिक और जैविक विशेषताओं में वांछित परिवर्तन ही जो संसाधनों के कच्चे माल का निम्नीकरण करता है यह पर्यावरण के एक या अधिक घटकों में प्रत्यक्ष या परोक्ष परिवर्तन कर जीवित जीवों का विशेष कर मानव जाति पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है

प्रदूषण की श्रेणियां

प्रदूषण की दो श्रेणियां निम्नलिखित है-

  1. जिससे पर्यावरण के भौतिक और रासायनिक घटकोंमें मानव के लिए हानिकारक परिवर्तन हो जाते हैं
  2. जिसे आधुनिक औद्योगिक एवं प्रौद्योगिकी समाज की गतिविधियों द्वारा पर्यावरण में कुल नए पदार्थ शामिल हो जाते हैं प्रथम श्रेणी के प्रदूषणों की तुलना में यह नए पदार्थ लगभग नगण्य होते हैं

जनसंख्या वृद्धि ने प्राकृतिक संसाधनों पर सीधा आक्रमण किया है प्राकृतिक के शोषण और प्रदूषण के संकट का मूल कारण मानव की तृष्णा और अज्ञान है.

पर्यावरण संकट के वास्तविक कारण हैं

  • तेजी से बढ़ती जनसंख्या
  • नियोजित वन विनाश
  • शहरीकरण
  • विकास की अंधी दौड़

उपनिषद भावी पीढियों के लिए संसाधनों को सुरक्षित रखने की नीति प्रस्तुत करते हैं सम्राट अशोक के शिलालेख संभावित वन्य जीवन संरक्षण के प्रथम अभिलेख हैं तकनीकी क्रांति से संबंधित तथाकथित विकास तथा अधिक तकनीकी विकास के लिए बेलगाम दौड़ से पर्यावरण संरक्षण की चिंता को तक पर रख दिया है

वायु प्रदूषण

वायु जीवन के लिए अनिवार्य है वायु अनेक गैसों का मिश्रण है इसमें लगभग 78% नाइट्रोजन एवं 21% ऑक्सीजन गैस है इसके अलावा वायु में कार्बन डाइऑक्साइड अंग मीथेन अन्य गैस से तथा जलवाष्प भी अल्प मात्रा में पाए जाते हैं वायु के सामान्य संगठन में गुणात्मक या मात्रात्मक परिवर्तन वायु प्रदूषण कहलाता है

वायु प्रदूषण के कारण-

  1. वाहनों के द्वारा
  2. उद्योगों के द्वारा
  3. कृषि क्रियाएं
  4. घरेलू प्रदूषण
  5. व्यक्तिगत आदतें प्राकृतिक स्रोतों द्वारा
  6. दुर्घटनाएं
  7. वनों की अंधड़ ढूंढ कटाई
  8. जनसंख्या वृद्धि

विशेष – 3 दिसंबर 1984 को हुए भोपाल गैस कांड को विश्व की प्रमुख रासायनिक दुर्घटना के रूप में जाना जाता है

वायु प्रदूषक एवं उनके दुष्प्रभाव

वायु को संदूषित करने वाले पदार्थों को वायु प्रदूषक कहते हैं यथा वाहनों के धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड कार्बन डाइऑक्साइड नाइट्रोजन के ऑक्साइड आदि प्रदूषण होते हैं

प्रदूषको के दुष्प्रभाव

  1. पेट्रोल तथा डीजल के अपूर्ण दहन से कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है जो एक विषैली गैस रक्त में ऑक्सीजन वहां क्षमता घटा देती हैं
  2. सीसा युक्त  पेट्रोल में पाया जाने वाला टेट्रा अथिल लेड भी एक घटक प्रदूषण है यह कैंसर एवं शय रोग का कारक है
  3. सर्दियों में आपने वायुमंडल में कोहर जैसी मोटी परत देखी होगी यह धुएं तथा कोहरे से बनती है इसे धूम कोहरा कहते हैं धुआ में नाइट्रोजन के ऑक्साइड होते हैं जो अन्य वायु प्रदूष को तथा कोहरे से मिलकर धूम कोहरा बनाते हैं इससे दमा खांसी अस्थमा तथा बच्चों में सांस के साथ हरहरत आदि रोग उत्पन्न होते हैं
  4. पेट्रोलियम परिष्करण शालाओं से सल्फर डाइऑक्साइड नाइट्रोजन जैसी गैसीय प्रदूषक उत्पन्न होते हैं विद्युत संयंत्र में प्रयुक्त ईंधन में भी सल्फर डाइऑक्साइड उत्पन्न होती हैं यह फेफड़े संबंधी बीमारियां फैलती हैं
  5. क्लोरोफ्लोरोकार्बन एक प्रकार का वायु प्रदूषक है जिसका उपयोग रेफ्रिजरेटर और कंडीशनरों एवं एरोसॉल फुहार में होता है यह वायुमंडल की ओजोन परत को क्षति पहुंचती है ओजोन परत सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों से हमारी सुरक्षा करती है अत्यधिक सीएफसी वायुमंडल में घुलने से ओजोन परत में छिद्र होने जैसी गंभीर स्थिति उत्पन्न हो गई है
  6. कारखाने से निकलने वाली सल्फर डाइऑक्साइड क्लोरीन अमोनिया नाइट्रस ऑक्साइड जैसी गैसों से आंखों में जलन होती है वह गले के रोग होते हैं
  7. वायु प्रदूषण से पौधों को भी हानि होती है सल्फर डाइऑक्साइड गैस तो पौधों को मृत कर देता है

वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय

  1. सभी कारखाने की चिमनियों पर गैस अवशोषक लगवाने चाहिए
  2. प्रदूषण कानों को फिल्टर द्वारा दूर करना चाहिए
  3. आदर्श इंधनों का प्रयोग किया जाना चाहिए ताकि कम धुआं और दुष्ट गैस बाहर निकले
  4. कल कारखानों और उद्योगों को आबादी से डर लगना चाहिए
  5. वनोन्मूलन पर प्रभावी रोक लगाई जाए
  6. सघन वृक्षारोपण किया जाए
  7. पर्यावरण स्वच्छता हेतु जल चेतना कार्यक्रम चलाए जाने चाहिए
  8. वाहन चलाने हेतु शिक्षा रहित पेट्रोल सीएनजी तथा एलजी का उपयोग करना चाहिए
  9. वैकल्पिक ईंधन के रूप में सौर ऊर्जा जल ऊर्जा एवं पवन ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए
  10. वाहनों का उपयोग कम करके
  11. वन महोत्सव के दौरान सघन वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया जाए

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