Major crops of Rajasthan राजस्थान की कुल कार्यशील जनसंख्या का लगभग 70% रोजगार की दृष्टि से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है राजस्थान में कृषि सिंचाई के कृत्रिम साधनों के अभाव में कृषक मुख्य रूप से मानसून पर निर्भर है राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का दो तिहाई भाग खरीफ के मौसम में बोया जाता है राजस्थान में सर्वाधिक कृषि का बोया गया क्षेत्र बाड़मेर में तथा सबसे कम राजसमंद जिला है राजस्थान में सर्वाधिक व्यर्थ एवं बंजर भूमि जैसलमेर में है राजस्थान में हरित क्रांति के तहत सर्वाधिक उत्पादन वृद्धि खाद्यान्न के क्षेत्र में हुई खाद्यान्न में सर्वाधिक उत्पादन वृद्धि गेहूं में हुई थी वर्तमान में राजस्थान खाद्यान्न की दृष्टि से आत्मनिर्भर राज्य हैं
राजस्थान की प्रमुख फैसले
खाद्यान्न गेहूं जो बाजरा ज्वार चावल मक्का चना
प्रदेश में मुख्यतः दो फैसले बोई जाती हैं
मुख्य खरीफ फसले
चावल ज्वार बाजरा मक्का अरहरउड़द मूंग चावल मौत मूंगफली अरंडी तिल सोयाबीन कपास गन्ना ग्वार आदि
खरीफ की फसले राज्य के लगभग 125 से 130 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बोई जाती है इनमें सर्वाधिक क्षेत्र लगभग 65% खाद्यान्न का होता है राज्य में लगभग 90% खरीद की फसले बारानी क्षेत्र में पैदा की जाती है जो पूर्णता है वर्ष पर निर्भर होती है
मुख्य रबी फसले
गेहूं जो चना मसूर मटर सरसों अलसी तारा मेरा सूरजमुखी धनिया जीरा मेथी आदि
राज्य में लगभग 70 से 75 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में रवि फसलों का उत्पादन होता है जिसमें सर्वाधिक क्षेत्र गेहूं का होता है रवि तिलहनों में मुख्यतः राय व सरसों की खेती होती है
उपयुक्त के अतिरिक्त राज्य के कुछ क्षेत्र में एक तीसरी फसल भी मार्च से जून के मध्य ली जाती हैं जिसे जायद कहते हैंइसमें मुख्यतः तरबूज खरबूजा कड़ी वह तार काकरिया पैदा की जाती है
प्रमुख फसले
गेहूं
आवश्यक दशाएं मिट्टी गेहूं के लिए दोमट मिट्टी महीन कोप मिट्टी का प्रधान मिट्टी उपजाऊ होती है गेहूं के लिए मिट्टी का पीएच मान 5 से 7.5 के मध्य होना आवश्यक है
वर्षा राजस्थान में ट्रिटीकम साधारण गेहूं सबसे अधिक व मैक्रोनी गेहूं अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में सबसे अधिक पैदा होता है
गेहूं के लिए आवश्यक तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से 26 डिग्री सेंटीग्रेड में वर्षा 7 सेंटीमीटर से 100 सेंटीमीटर होनी चाहिए
राजस्थान के पूर्वी एवं दक्षिणी पूर्वी क्षेत्र में गेहूं का अधिक उत्पादन होता है
श्रीगंगानगर जिले को अन्य का कटोरा कहा जाता है
राजस्थान में गेहूं की मुख्य किस्ममैक्सिकन सोना कल्याण शरबती सोनेरा कोहिनूर आदि है
गेहूं की श्रेष्ठ किस में राजस्थान 3765 का विकास करने वाले राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक को केंद्रीय कृषि मंत्री द्वारा ट्रॉफी प्रदान कर पुरस्कृत किया गया
गेहूं की अन्य विकसित किस में राजस्थान 377 अच्छी चपाती बनाने के लिए उपयुक्त हैं इसमें प्रोटीन की मात्रा गेहूं की प्रचलित किस्म की अपेक्षा 12.5% अधिक है
इंडिया मिक्स गेहूं मक्का व सोयाबीन के मिश्रण का आता
जौ
राजस्थान में जौ की प्रमुख किस्में- ज्योति एवं आर.एस.- 6 हैं।
जौ शीतोष्ण कटिबन्ध की फसल है। यह रबी के मौसम की फसल है।
जौ के लिए 15° से. से 18° से. तक तापमान तथा 50 सेमी. से 70 सेमी. तक वर्षा वाला क्षेत्र उपयुक्त होता है।
जौ के लिए हल्की एवं दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
राजस्थान में जौ उत्पादन क्षेत्रफल लगभग 2.5 लाख हैक्टेयर है।
राज्य के प्रमुख जौ उत्पादक जिले गंगानगर जयपुर, दौसा, अजमेर हैं।
जौ की उत्पादकता बढ़ाने के लिए सन् 1966-67 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा जयपुर स्थित कृषि अनुसंधान केन्द्र, दुर्गापुरा में समन्वित जौ सुधार परियोजना के स्थापित होने के साथ इस फसल पर अनुसंधान कार्य प्रारंभ हुआ।
इस केन्द्र द्वारा मोल्या रोग ग्रस्त क्षेत्रों के लिए जल्दी पकने वाली व अधिक उपज देने वाली किस्में समय-समय पर विकसित की गई हैं जिनमें आर.डी. 2052, आर.डी. 2035 तथा आर.डी. 2503 प्रमुख हैं।
जौ से शराब व बीयर भी बनाई जाती है।
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बाजरा
बोये गये क्षेत्र के अनुसार यह मुख्य खाद्य फसल है तथा
उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान भारत में प्रथम है।
बाजरा के लिए गर्म एवं शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है।
बाजरा के लिए 25° से. सें 35° से. तक तापमान तथा 40 से 50 सेमी. वर्षा आवश्यक होती है।
बाजरा के लिए बलुई-दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है।
बाजरा के कुल बोये गये क्षेत्र में बाड़मेर में सबसे अधिक 69.4 प्रतिशत है।
राजस्थान में बाजरा फसल के अन्तर्गत बोया गया शुद्ध
क्षेत्रफल देश के कुल बाजरा क्षेत्र का 46 प्रतिशत तथा
राज्य के कुल बोये गये क्षेत्र का 21.05 प्रतिशत है। राजस्थान में नागौर, जोधपुर, बाड़मेर, जयपुर, करौली जिले उत्पादन की दृष्टि से प्रमुख हैं।
भारत सरकार द्वारा अखिल भारतीय समन्वित बाजरा सुधार परियोजना व मिलेट डाइरेक्टोरेट को क्रमशः पूना व चेन्नई से जोधपुर व जयपुर स्थानांतरित किया गया है। राजस्थान में इस परियोजना के दो नए केन्द्र बीकानेर एवं जोधपुर में स्वीकृत किये गये हैं।
विश्व में पहली बार जोगिया रोग फैलाने वाली कवक की प्रजाति का राज्य के देशी बाजरा किस्मों से पता लगाया गया तथा राज्य में बाजरा किस्म एम.एच. 179 से सूखा रोग का विश्व में पहली बार पता लगा है।
ज्वार
इसे सोरगम भी कहा जाता है
ज्वार को गरीब की रोटी कहा जाता है
ज्वार के लिए चिकनी दोमट मिट्टी तथा बलुई दोमट मिट्टी एवं 25 डिग्री से 30 डिग्री से तक तापमान एवं 50 से 60 सेमी वर्षा की आवश्यकता होती है
ज्वार की कृषि राज्य के मध्य तथा पूर्वी भाग में मुख्यतः होती है
ज्वार उत्पादन की दृष्टि से अजमेर उदयपुर भारतपुर भीलवाड़ा प्रमुख जिले हैं
राजस्थान में ज्वार का क्षेत्रफल देश के कुल क्षेत्रफल का 10% है
चौथी पंचवर्षीय योजना काल में सन 1970 के अगस्त माह में अखिल भारतीयसमन्वित ज्वार अनुसंधान परियोजना का एक मुख्य केंद्र तत्कालीन उदयपुर विश्वविद्यालय के अंतर्गत क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र वल्लभनगर में स्थापित किया गया सन 1976 के जून माह में यह परियोजना राजस्थान कृषि महाविद्यालय उदयपुर में स्थानांतरित की गई
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