Jal Pradushan Pradushan Ke Karan Prabhav Or Niyantran Ke Upay किसी ने सही कहा जल ही जीवन है क्योंकि जीवन के मूल कार्य के लिए पानी की आवश्यकता होती है। उदाहरणों के लिए आइए मनुष्यों के बारे में बात करते हैं, मानव सभ्यता ऐतिहासिक रूप से नदियों और प्रमुख जलमार्गों के आसपास फली-फूली है क्योंकि मनुष्य आसानी से अपने पानी की खपत या खेती के लिए भरपूर पानी इन स्त्रोतों प्राप्त कर सकते हैं। मानव उपभोग योगी पानी को पीने का पानी या पीने योग्य पानी कहा जाता है।
पानी जो पीने योग्य नहीं है, उसे निस्पंदन या आसवन या अन्य तरीकों द्वारा पीने योग्य बनाया जा सकता है। पानी जो पीने के योग्य नहीं है लेकिन मनुष्यों के लिए हानिकारक नहीं है ऐसे पानी को तैरने या स्नान करने के लिए उपयोग किया जाता है, इसे पीने योग्य पानी के अलावा अन्य नामों से पुकारा जाता है, और कभी-कभी इसे सुरक्षित पानी या “स्नान के लिए सुरक्षित” कहा जाता है, और यह सुरक्षित पानी है हमारे लिए सीमित और अंततः आने वाले भविष्य में खत्म हो सकता है।
जल प्रदूषण
जल जीवन के लिए एक बहुमूल्य संसाधन है पेयजल स्वच्छ और रोग के कीटाणुओं से पूर्णतया मुक्त होना चाहिए आधुनिक युग में कल कारखानों और जनसंख्या वृद्धि के परिणाम स्वरुप भूमि पर बहने वाली जल भूमि पर संग्रहीत जल भूमि जल में धीरे-धीरे कुछ ऐसे अवांछित पदार्थ मिल जाते हैं जिससे जल की गुणवत्ता कम हो जाती है और उसका रंग एवं गंध भी बदल जाती है इस जल प्रदूषण कहते हैं.
जल प्रदूषण के कारण
जल प्रदूषण के प्रमुख निम्नलिखित कारण है –
- उद्योगों से निष्कासित अपशिष्ट पदार्थों के जल में मिलने से जल प्रदूषित हो जाता है
- जलासयो और नदियों में कपड़े धोने नहाने बर्तन साफ करने गंदगी को इनमें डालने मवेशियों को नहलाने मल मूत्र त्यागने वाहनों के धोने आदि से जल दूषित हो जाता है
- फसलों के अधिक उत्पादन हेतु प्रयुक्त की गई रासायनिक खाद एवं कीटनाशक दवाइयां वर्षा के जल के साथ जलासयो में पहुंचकर जल को प्रदूषित करती हैं
- समुद्री जल का प्रदूषण नदियों के दूषित जलो का समुद्र में मिलने से समुद्री जल प्रदूषित हो जाता है
जल प्रदूषण के प्रभाव
- मल युक्त संदूषित जल के उपयोग से विभिन्न संक्रामक हो सकते हैं प्रदूषण जल को ग्रहण करने से मानव में कई रोग जैसे हेजा पेचिस चर्म रोग आदि उत्पन्न हो जाते हैं
- जल प्रदूषण से जलीय पौधों की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और जलीय जंतुओं की संख्या भी घट जाती है
- जल प्रदूषण के कारण उपजाऊ मृदा भी प्रदूषित हो रही है और भूमि की उर्वरकता भी कम हो रही है
- विद्युत संयंत्र तथा उद्योगों से निकला गर्म जल जलाशयों के तापमान को बढ़ा देता है जिससे उनमें रहने वाले पौधे एवं जीव जंतुओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
- फसलों की सुरक्षा हेतु कीटनाशी रसायनों का उपयोग किया जाता है जो जल में घुलकर खेतों से जलाशयों में पहुंचते हैं
जल प्रदूषण नियंत्रण के उपाय
- अपशिष्ट पदार्थों को जलाशयों में डालने से रोका जाए
- सरकार द्वारा प्रदूषण रोकने के लिए बनाए गए अधीनियमों की कड़ाई से पालन की जाएसमुद्र में परमाणु परीक्षण पर रोक के लिए प्रभावी उपाय किया जाए
- जलास्यों में नहाने धोने तथा पशुओं को नहलाने पर प्रतिबंध लगाना चाहिए
- पेयजल स्रोतों की नियमित सफाई तथा जांच की जाए
- घरेलू कचरा नियत स्थान पर डाला जाए
जल प्रदूषण पर विशिष्ठ अध्ययन
गंगा नदी गंगा भारत की प्रसिद्ध नदियों में से एक पवित्र नदी है गंगा नदी को गंगा माता भी कहते हैं विश्व वन्य जीव कोष ऑफ द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया है की गंगा संसार की 10 नदियों में से एक है जिसका अस्तित्व खतरे में ही वर्ष 1985 में गंगा नदी को बचाने के लिए गंगा कार्य परियोजना आरंभ की गई किंतु बदली हुई जनसंख्या और औद्योगीकरण ने पहले ही इस पवित्र नदी को काफी नुकसान पहुंचा दिया है वर्तमान में सरकार ने गंगा नदी के संरक्षण हेतु एक एकीकृत कार्यक्रम नमामि गंगा प्रारंभ किया है
शैवाल ब्लूम अपशिष्ट पदार्थ में उपस्थित नाइट्रेट एवं फास्फेट जैसी रसायन अत्यधिक मात्रा में जलाशय तालाब आदि में मिल जाते हैं यह रसायन शैवाल के लिए पोषक पदार्थ का कार्य करते हैं फल स्वरुप जलाशयों में शैवाल की मात्रा में अत्यधिक वृद्धि हो जाती है शैवाल की अत्यधिक वृद्धि को शैवाल ब्लूम कहते हैं शैवाल ऑक्सीजन की अत्यधिक मात्रा का उपयोग करते हैं जिससे जल में ऑक्सीजन के स्तर की कमी हो जाती हैं इस कारण जलीय जीव मर जाते हैं
जल शुद्धीकरण
पीने के उपयुक्त जल को पेयजल कहते हैं संसार की 25% जनसंख्या को निरापद पर जल नहीं मिलता है अशुद्ध जल को जलासियों में गिरने से पूर्व विभिन्न भौतिक तथा रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा वाहित मल उपचार संयंत्र द्वारा शुद्ध किया जाना चाहिए सार्वजनिक जल वितरण प्रणाली में जल की घरों में आपूर्ति करने से पूर्व जल का उपचार किया जाता है
पेयजल को शुद्ध करने के लिए प्रयुक्त विधियां
- घरेलू फिल्टर कैंडल फिल्टर का उपयोग करें
- उबालकर पानी का उपयोग करें
- क्लोरीनीकरण द्वारा
- फिटकरी का उपयोग करें
- जल को कर्मी युक्त करने के लिए कुएं में चुना पोटेशियम परमैग्नेट आदि डालकर पेयजल को शुद्ध कर सकते हैं
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