Importance Of Sound Meaning Definition Part 3 | ध्वनि का अर्थ परिभाषा लक्षण और महत्व नोट्स इन हिंदी पार्ट 3

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Importance Of Sound Meaning Definition Part 3

Importance Of Sound Meaning Definition Part 3 दोस्तों ध्वनि का मतलब तो आप जानते ही होंगे भौतिकी में ध्वनि कंपनी है जो गैस तरल या ठोस जैसे संरक्षण माध्यम के माध्यम से ध्वनिक तरंग के रूप में फैलती है मानव शरीर विज्ञान और मनोविज्ञान में ध्वनि ऐसी तरंगों का ग्रहण और मस्तिष्क द्वारा उनकी धारणा है आज हम इस लेख में ध्वनि के बारे मेंसंपूर्ण जानकारी आपको आपको बताने जा रहे हैं जिसमें ध्वनि से संबंधित सभी जानकारीइस लेख के माध्यम सेआपको उपलब्ध करवाई जाएगीआप हमारे साथ बने रहे

Importance Of Sound Meaning Definition Part 3

सोनार

सोनारी एसी युक्ति है जिससे जल में स्थित पिंडों की दूरी दिशा तथा चाल मापने के लिए परा ध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है

राडार

  • राडार एक वैज्ञानिक उपकरण है
  • राडार का आविष्कार टेलर लियो यंग  ने वर्ष 1992 में किया
  • यह यंत्र अंतरिक्ष में आने जाने वाले वायुयानों के सन सूचक और उनकी स्थिति ज्ञात करने के काम आता है
  • राडार एक यंत्र है जिसकी सहायता से रेडियो तरंगों का उपयोग दूर की वस्तुओं का पता लगाने में तथा उनकी स्थिति अर्थात दिशा और दूरी ज्ञात करने के लिए किया जाता है
  • आंखों से जितनी दूर दिखाई पड़ सकता है रडार द्वारा उसे कई अधिक दूर की चीजों की स्थिति का सही पता लगाया जा सकता है
  • पृष्ठभूमि में विषम तथा बड़ी वस्तुओं का जैसे समुद्र पर तैरते जहाज ऊंचे उड़ते वायुयान द्वीप सागर तट आदि का रडार द्वारा बड़ी अच्छी तरह से पता लगाया जा सकता है
  • सन 1886 में रेडियो तरंगों के अविष्कर्ता हिंड्रिक हिटर ने ठोस वस्तुओं की इन तरंगों का परावर्तन होना सिद्ध किया है

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 स्थिति निर्धारण की पद्धति

  • राडार से रेडियो तरंगे भेजी जाती है और दूर की वस्तु से परावर्तित होकर उनके वापस आने में लगने वाले समय को भापा जाता है।
  • रेडियों तरंगों की गति, 1,86,999 मील/प्रति सेकण्ड है।
  •  राडार में लगे उच्च दिशापरक ऐंटेना से परावर्तक, अर्थात् लक्ष्य वस्तु, की दिशा का ठीक-ठीक पता चल जाता है। दूरी और दिशा मालूम हो जाने से वस्तु की यथार्थ स्थिति ज्ञात हो जाती है।
  •  एक माइक्रो सैकण्ड (सैकण्ड का दस लाखवां भाग) के समय से 164 गज और 19.75 माइक्रो सैकण्ड से 1 मील की दूरी समझी जाती है।
  • मॉडुलेटर (Modulator) से रेडियो आवृति दोलित्र को दिए जाने वाली विद्युत शक्ति के आवश्यक विस्फोट प्राप्त होते है।
  • रेडियो-आवृति दोलित्र उच्च आवृति वाली शक्ति के उन स्पन्दों को उत्पन्न करता है जिनसे राडार के संकेत बनते है।
  •  ग्राही वापस आने वाली रेडियों तरंगों का पता पाता है।
  • सूचक (Indicator) राडार परिचारक को रेडियो तरंगों द्वारा एकत्रित की गई सूचनाएँ देता है।
  • राडार के कारण युद्ध में सहसा आक्रमण प्रायः असंभव हो गया है।
  • राडार द्वारा जहाजों, वायुयानों और रॉकेटों के आने की पूर्व सूचना मिल जाती है।
  • राडार से वायुयानों को पृथ्वीतल से अपनी सही ऊँचाई ज्ञात होती रहती है तथा रात्रि में हवाई अड्डों पर उतरने में बड़ी सहूलियत होती है।
  • 19 जनवरी, 1946 ई. को संयुक्त राज्य अमेरिका के सैनिक दल ने राडार द्वारा सर्वप्रथम चन्द्रमा से सम्पर्क किया।

विद्युत चुम्बकीय तरंगे या अप्रत्यास्थ तरंगे

गामा किरणें- यह तरंगे परमाणुओं के नाभिक के विखण्डन सेव तथा रेडियो-एक्टिव पदार्थो से उत्सर्जित होती है। इन्हें बेकुरेल किरणे व भी कहते हैं। इनकी चाल प्रकाश की चाल के बराबर होती है। गामा किरणों की ऊर्जा अत्यधिक होने के कारण इनकी वेधनशीलता बहुत अधिक होती है।

y-किरणों का प्रयोग कृत्रिम रेडियोधर्मिता में किया जाता है। इन स किरणों का उपयोग कैंसर उपचार करने में, एक्स-किरणो का प्रयोग रेडियोग्राफी में हड्डियों की स्थिति ज्ञात करने में तथा अन्य रोगों के निदान में। गामा किरणों के घातक प्रभाव से बचने के लिए लेड धातु की मोटी चादरों का उपयोग किया जाता है।

X- किरणें- विद्युत चुम्बकीय तरंगों के वर्णक्रम के इस भाग की खोज सर्वप्रथम 1895 में जर्मनी के वैज्ञानिक विल्हेम‌रोन्जनाने कैथोड़ ते किरणों के अध्ययन करते समय की। X- किरणें परमाणुओं में अन्तः या इलेक्ट्रॉनों के एक कक्ष से दूसरे कक्ष में अतिक्रमण से या इलेक्ट्रॉन के त्वरित वेग से पति करने से उत्पन होती है।

X- किरणों को सहायता से क्रिस्टलों की संरचना, धातुओं के अन्द्र दोषों तेथा हड्डियों को संरचना आदि का पता लगाया जा सकता है। X- किरणों का उपयोग रोग निदान और निरीक्षण के लिए काफी प्रचुरता से किया जाता है।

प्राबैंगनी किरणे  पराबैंगनी किरणों की खोज रिट्यून की। पराबैंगनी तरंगें विद्युत स्फुलिंग में अणु तथा परमाणुओं द्वारा उत्पन्न होती है। सूर्य भी पराबैंगनी तरंगों का बहुत शक्तिशाली स्रोत है। सूर्य से उत्सर्जित पराबैंगनी तरंगें पृथ्वी के ऊपरी मण्डल में उपस्थित अणुओं को आयनित कर देती है और आयनमण्डल का निर्माण करती है। पराबैंगनी किरणों में प्रतिदीसि का गुण होता है इससे मिलावट अथवा दूसरे के हस्ताक्षर बनाने तथा लिखावट को पहचानने में सहायता मिलती है। इन्हीं विकिरणों के द्वारा पौद्यों में विटामिन D का निर्माण होता है।

दृश्य किरणें- इन किरणों को साधारण आँखों से देख सकते है। इसलिए इन तरंगों को दृश्य तरंगें या प्रकाश तरंगें कहते है। प्रकाश की वर्ण उसकी तरंग दैर्ध्य पर निर्भर करता है। लाल प्रकाश को तरंग दैर्ध्य 1 अधिकतम तथा बैंगनी प्रकश का तरंग दैर्ध्य न्यूनतम होता है। दृश्य विकिरणों में परावर्तन, अपवर्तन आदि गुण पाये जाते है।

अवरक्त किरणे- इसकी खोज विलियम हर्सेल ने की। अवरक्त तरंगों को अणुओं तथा गर्म पदार्थों द्वारा उत्पन किया जाता है अवरक्त तरंग कुहरे तथा धुँए की गहन तहों को बेघ कर पार जा सकती हैं इसलिए इन तरंगों का उपयोग रात्रि में सामरिक महत्व की अवरक्त फोटोग्राफी में किया जाता है। अवरक्त चिकित्सा थेरेपी में ये किरणें रोग निदान के लिए भी उपयोग में लाई जाती है।

सूक्ष्म तरंगे – सूक्ष्म तरंगों को खोज विलियम हार्वे ने की। इनको खतरनाक तरंगे भी कहा जाता है। इनका उत्पादन इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जैसे मेग्नेट्रॉन, बिलस्ट्रॉन, ट्रेवलिंग-वेब ट्यूब आदि द्वारा किया जाता है। तरंगों को राडार उपग्रहों-संचार व्यवस्था में उपयोग में लाया जाता है। इन तरंगों द्वारा परमाणवीय एवं आणविक संरचना का विशलेषण भी तरे है। 10m से 10m की तरंगे सूक्ष्म तरंगों के नाम से जानी जाती है।

रेडियो तरंगे – इनकी खोज मारकोनी ने की। ये सर्वाधिक तरंग दैध्ये बोलो तरंगें होती है। रेडियो तरंगें पृथ्वी पर बहुत अधिक दूरी तक संचरित कर सकती है इसलिए इन तरंगों का उपयोग टेलिविजन तथा रेडियो द्वारा संदेश प्रसारण में करते हैं।

ध्वनि प्रदूषण

विध्वनिया जो कानों को अप्रिय लगती है उन्हें शोर कहते हैं यथा यातायात के साधनों से उत्पन्न ध्वनि अत्यंत प्रबल ध्वनि युक्त संगीत निर्माण स्थल से आने वाली ध्वनि आदि

  • ध्वनि की तीव्रता 50 डेसिमल तक होने तक हमें ध्वनि सामान्य कर्ण प्रिय लगती है
  • 50 से 80 डेसिमल की ध्वनि हम सहन कर सकते हैं
  • 80 डेसिमल से ऊपर की ध्वनि को आसानी माना गया है चाहे वह सुरमई संगीत ही क्यों ना हो
  • ध्वनि प्रदूषण निरंतर होने वाले तिर्वा शोर जैसे मोटर गाड़ियों की आवाज रेल के इंजन की आवाज कारखाने लाउडस्पीकर की ध्वनि आदि से होता है
  • सौर प्रदूषण से उत्पन्न समस्याएं निम्नलिखित चिड़चिड़ापन अनिद्रा उच्च रक्तचाप सुनने की क्षमता अस्थाई अस्थाई रूप से कम होने व कभी-कभी बहरापन आदि

ध्वनि प्रदूषण को सीमित रखने के उपाय

  • तीव्र ध्वनि उत्पन्न करने वाले वाहनों को उपकरणों में शोर काम करने वाले साइलेंसर का उपयोग किया जाना चाहिए
  • सौर उत्पन्न करने वाले क्रियाकलाप अवश्य क्षेत्र से दूर स्थापित किए जाने चाहिए
  • टेलीविजन में लाउडस्पीकर की ध्वनि कम रखनी चाहिए
  • सड़कों के किनारे व भवनों के आसपास वृक्ष लगाने चाहिए ताकि ध्वनि अवशोषित हो सके
  •  ऊर्जा के विभिन्न रूप है जैसे यांत्रिक ऊर्जा विद्युत ऊर्जा ऊष्मा प्रकाश ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा आदि
  • ऊर्जा का एक रूप है ध्वनि ऊर्जा

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