Human Body And Health | मानव शरीर और स्वास्थ्य Part 2nd

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Human Body And Health

Human Body And Health आम कहावत स्वास्थ्य ही धन है का अर्थ बहुत ही साधारण और सरल है। इसका अर्थ है कि, हमारा अच्छा स्वास्थ्य ही हमारी वास्तविक दौलत या धन है, जो हमें अच्छा स्वास्थ और मन देता है और हमें जीवन की सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्षम बनाता है। अच्छा स्वास्थ्य अच्छे शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। मैं इस कहावत से पूरी तरह से सहमत हूँ कि, स्वास्थ्य ही वास्तविक धन है, क्योंकि यह सभी पहलुओं पर हमारी मदद करता है।

मानव शरीर एवं स्वास्थ्य पहले स्वास्थ्य को शरीर के अच्छे से कार्य करने की क्षमता कहा जाता था। हालाँकि, जैसे-जैसे समय विकसित हुआ, स्वास्थ्य की परिभाषा भी विकसित हुई। इस बात पर इतना ज़ोर नहीं दिया जा सकता कि स्वास्थ्य ही प्राथमिक चीज़ है जिसके बाद बाकी सब चीज़ें आती हैं। जब आप अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखते हैं , तो बाकी सब कुछ ठीक हो जाता है।

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प्रोटोजोआ जनित रोग

मलेरिया

  • मलेरिया का रोगजनक प्लाज्मोडियम है जो रोग वाहक मादा एनाफिलीज मच्छर द्वारा स्वस्थ शरीर को काटे जाने पर शरीर में प्रवेश करता है
  • यकृत कोशिकाओं में प्रगुणन कर यह जीव संख्या में वृद्धि करते हैं तथा बाद में लाल रुधिर कणिकाओं का भक्षण करने लगते हैं जिसके फल स्वरुप कपकपि  लगकर बुखार आता है इसे ही मलेरिया कहते हैं
  • मलेरिया द्वारा एनीमिया और पीलिया भी हो सकता है क्योंकि आरबीसी की कमी हो जाती हैं

मुख्य लक्षण – कमजोरी ठंड लगना सिर दर्द पेशियां में दर्द बेचैनी उल्टी व दस्त होना

रोकथाम के उपचार – रोग होने की दशा में चिकित्सक की सलाह से कोनिन क्लोरोफिल प्प्राइमाक्वीन आदि औषधीय का उपयोग किया जाता है

  • सबसे पुरानी औषधि कुनैन है जो सिनकोना की छाल से प्राप्त होती हैं आजकल कुनैन को कुनैन सल्फेट के रूप में प्रयोग में लाया जाता है
  • अर्टिथर मलेरिया की नई दवा है जिसे अमेर्सिया नामक पौधे से तैयार की गई है

मलेरिया उन्मूलन 11 फरवरी 2016 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जेपी नड्डा द्वारा मलेरिया उन्मूलन हेतु राष्ट्रीय रूपरेखा ( NFME-2016 – 2030 ) का शुभारंभ किया गया इस राष्ट्रीय फ्रेम वर्क का विकास देश में मलेरिया उन्मूलन के विजन तथा बहेतर स्वास्थ्य एवं जीवन स्तर के साथ गरीबी उन्मूलन में योगदान देने के उद्देश्य के साथ किया गया

अमीबीयासिस या अमीबता

  • इस रोग का रोगजनक और अमीबा हिस्टॉलिटिका नमक सूक्ष्म प्रोटोजोआ जीव है
  • संक्रमित व्यक्ति द्वारा प्रतिदिन लगभग 15 लाख रोगाणु मल द्वारा त्यागे जाते हैं
  • यह रोगाणु मिट्टी में कई दिनों तक जीवित रहते हैं तथा यहां से कच्ची सब्जियां जल तथा वाहक घरेलू मक्खियों कॉकरोच आदि की सहायता से खाद्य पदार्थ तक पहुंच कर उन्हें संदूषित कर देते हैं
  • रोकथाम एवं उपचार रोग होने पर चिकित्सक की सलाह से मेट्रोनडेजोल औषधि का उपयोग करें

Human Body And Health part -1st –Human Body And Health | मानव शरीर और स्वास्थ्य Part 1st

हेल्मिन्थिज जनित रोग

  • अकशेरुकी संघ प्लेटि हेल्मिन्थिज के अंतर्गत चपटे एवं गोल कृमि आते हैं
  • इनमें से अधिकतर परजीवी होते हैं तथा विभिन्न रोग फ्लेट हैं

हाथी पांव या फीलपाव रोग

  •  इसका रोगजनक संघ वऊचेरेया बैंक्रोफ्टाइ है 
  • जो वाहक ऐडिस अथवा क्योंलेक्स  मच्छरों के काटने पर फैलता है
  • रोकथाम एवं उपचार रोग होने की दशा में डाइईथाइल काब्रेमेनिज नामक औषधि का उपयोग चिकित्सक की सलाह से किया जाना चाहिए तथा यह औषधि बाजार में हेट्रजन के नाम से उपलब्ध है

बाला या नारू 

  • नारू रोग का रोगजनक ड्रैकनकुलरस मेडिनेसिंस नामक कृमि है जो धागे के समान पतली सफेद एवं 90 से 130 सेमी लंबी होती है
  • इस रोग से ग्रसित व्यक्ति जब अपने हाथ पैरों को नदी तालाब आदि में धोता है तो संक्रमित सफेद रंग के स्राव से इसके अंडे तल में आ जाते हैं इन अंडों को एक अन्य जलीय जीव साइक्लोप्स निकल जाता है ऐसे संदूषित जल का उपयोग करने पर साइक्लोप्स तो नष्ट हो जाते हैं परंतु रोगी की त्वचा पर फुंसी के समान उभार प्रकट होता है जिस में से मादा क्रमी की पूंछ दिखाई देने लगती है इस स्थान से सफेद स्राव होने लगता है
  • जो रोग की संक्रामक अवस्था है फुंसी वाले स्थान से रोगी को अत्यधिक दर्द का अनुभव होता है
  • रोकथाम एवं उपचार बाला या नारू पूर्व  में राज्य में बहुआयत में होने वाला रोग था परंतु नर उन्मूलन कार्यक्रम के प्रयासों से सन 2000 के पश्चात इसका कोई रोगी नहीं पाया गया है साइक्लोप्स पर नियंत्रण हेतु तालाबों में बारबेल मछलियों को छोडा जाना चाहिए

आनुवांशिक रोग

  • अनुवांशिक रोग वे रोग है जो माता-पिता से शिशुओं तक पहुंचाते हैं अर्थात यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चलते रहते हैं
  • x- लिंग गुणसूत्र के कारण उत्पन्न रोग लिंग सहलग्न अनुवांशिक रोग कहलाते हैं जैसे हीमोफीलिया आदि जबकि अलिंगी गुणसूत्र उत्पन्न विकार अलिंगी सहलग्न अनुवांशिक विकार कहलाते हैं
  • जैसे थैलेसीमिया हंसियाकार कोशिका आदि

हीमोफीलिया

  • हीमोफीलिया लिंग सहलग्न प्रकार का अनुवांशिक रोग है जिनके जीन x लिंग गुणसूत्र पर पाए जाते हैं
  • इस रोग में रुधिर का थक्का अत्यधिक देरी से बनता है जिसके कारण अधिक रक्त स्राव होने से रोगी की मृत्यु हो जाती है
  • रोग वॉक स्त्री तथा सामान्य पुरुष के विवाह उपरांत संतानों में इस रोग की वंशागति निम्न प्रकार है
  • सामान्य पुत्र एवं रोग वाहक पुत्रिया  संतानों का अनुपात 50 50 पर्सेंट होगा
  • इसी प्रकार पिता के हीमोफीलिया से ग्रसित होने पर सामान्य माता की स्थिति होने पर उत्पन्न होने वाले पुत्र सभी पुत्र सामान्य जबकि सभी पुत्रियां रोग वाहक होगी

कलर ब्लाइंडनेस / वर्ण दृष्टि दोष

  • इस रोग में व्यक्ति को विभिन्न रंगों को पहचाने या देखने या रंगों में विभेद कर सकते की क्षमता अपेक्षाकृत कम हो या पूर्णत नहीं होती हैं
  • यह रोग भी लिंग सहलग्न है तथा इसके जीन भी हीमोफीलिया की भांति x लिंग गुणसूत्र पर ही पाए जाते हैं
  • वर्णांअंधता में भी स्त्रियां रोग वहाक होती हैं जबकि शिशु रोग से ग्रसित पाया जाता है
  • इस रोग से पीड़ित मनुष्य लाल एवं हरे रंग में विभेक नहीं कर पाते हैं

थैलेसीमिया

  • इस अनुवांशिक रोग में हीमोग्लोबिन का संश्लेषण दोष पूर्ण होता है जिसके कारण शिशु को जीवित रखने हेतु बार-बार उसका रक्त बदला जाना आवश्यक होता है

सिकल सेल एनीमिया

  • इस रोग का आवीभार्व, जीन उत्परिवर्तन के कारण से हुआ है
  • इस रोग में लाल रुधिर कणिकाओं की आकृति हंसीयाकार हो जाती हैं
  • इस रोग की अन्य विशेषता यह है कि ऐसे रोगियों को सामान्यतः मलेरिया नहीं होता है क्योंकि मलेरिया परजीवी अर्थात प्लाज्मोडियम दोषपूर्ण हंसी जाकर रुधिर कोशिकाओं में पनप नहीं सकते हैं

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