Greenhouse Effect And Warming Part 2 | हरित गृह प्रभाव और तापन नोट्स इन हिंदी पार्ट 2

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Greenhouse Effect And Warming Part 2

Greenhouse Effect And Warming Part 2 पृथ्वी का बढ़ता हुआ ताप 21वीं साड़ी की प्रमुख विश्व व्यापी पर्यावरणीय समस्या है यह समस्या मानवीय क्रियाकलापों को ही देन है वातावरण में बढ़ती हुई ग्रीन हाउस गैसों की सांद्रता के कारण पृथ्वी सतह के नजदीक यह गैसीय परत बन जाती है जो प्रकाश करने को आने तो देती हैं परंतु जाने नहीं देता इस कारण पृथ्वी सतह के तापमान में बढ़ोतरी हुई है और संपूर्ण पृथ्वी पर बढ़ते तापमान को ही तापीय वैश्वीकरण या ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं इस प्रभाव हेतु उत्तरदाई गैस कार्बन डाइऑक्साइड है वैश्विक ताप के संबंध में उचित जानकारी प्राप्त करने हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1988 में आईपीसीसी का गठन किया

Greenhouse Effect And Warming Part 2

अम्लीय वर्षा

उद्योग एवं तेल शोधन कारखानों से निकलने वाले दुबे में सल्फर डाई ऑक्साइड एवं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड होती हैं

अम्लीय वर्षा का पीएच मान 5.5 से कम होता है

अम्लीय वर्षा से त्वचा संबंधी रोग तथा इमारत को नुकसान होता है

ताजमहल की चमक फीकी पढ़ने का कारण मथुरा रिफाइनरी से छोड़े गए प्रदूषण हैं

सबसे ज्यादा खतरनाक गैसीय प्रदूषक so2 है सल्फर डाइऑक्साइड

कृत्रिम श्वसन

कृत्रिम श्वसन हेतु व्यक्ति को ऑक्सीजन हीलियम का मिश्रण दिया जाता है कारण ऑक्सीजन की मात्रा कम करना निष्क्रीय गैस का होना

उपयोग अंतरिक्ष यात्री द्वारा गोताखोरों द्वारा दमा रोगी द्वारा

ऑक्सीजन

ऑक्सीजन की खोज सन 1772 ईस्वी में सीले ने की थी और ऑक्सीजन नाम लेवासीय द्वारा दिया गया

सभी जीवो को जीवित रहने के लिए ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है इसलिए इसे प्राण वायु याजरक भी कहते हैं

पृथ्वी में सर्वाधिक मात्रा में पाए जाने वाला एवं मानव शरीर में सर्वाधिक पाए जाने वाला तत्व वह गैस है

वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा लगभग 21% है

पेड़ पौधों द्वारा प्रकाश संश्लेषण की क्रिया से ऑक्सीजन उत्पन्न होती है

प्रयोगशाला में ऑक्सीजन का निर्माण पोटेशियम परमैंगनेट की सहायता से किया जाता है

वनस्पतियां ऑक्सीजन की जितनी खपत श्वसन के लिए करते हैं उसे 10 गुना अधिक ऑक्सीजन वे प्रकाश संश्लेषण में उत्पन्न करते हैं

ऑक्सीजन के गुण

या रंग हीन स्वाद हीन गंध हीन गैस होती है और यहे वायु से भरी होती है ऑक्सीजन सवय नही जलती है परन्तु जलाने में सहायक है 

उपयोग

  • जीवो के स्वसन क्रिया के लिये आवश्यक
  • कत्रिम स्वसन प्रदान करने में 
  • वस्तुओ को जलाने में सहायक 

अन्तरिक्ष यानो में इधन के रूप में द्रव्य ऑक्सीजन का उपयोग किया जाता है 

द्रव  ऑक्सीजन  कार्बन तथा पेट्रोलियम का मिश्रण होत है जो अति विस्फोटक है इसका उपयोग कठोरे चट्टान और वतुये को तोड़ने के काम आता है ऑक्सी एसिटलिन ज्वाला के रूप में  धातुको जोड़ने में और वेल्डिंग में किया जाता है 

नाइट्रोजन 

नाइट्रोजन तत्व के खोज डेनीयल रदेर्फोर्ड ने के 

वायुमंडल में सर्वाधिक पायी जाने वाली गैस है वायुमंडल में नाइट्रोजन गैस की मात्रा लगभग ७८% होती है 

नाइट्रोजन जंतु और वनस्पति जगत का प्रमुख घटक है 

युरिया  में नाइट्रोजन की मात्रा 46% होती है

नाइट्रोजन का उपयोग उर्वरक बनाने में किया जाता है

नाइट्रोजन के गुण

  • यह रंगहीन गन्धीन  स्वादहीन गैस है
  • यह ना तो जलती है और ना ही जालाने में सहायक है

उपयोग

  • नाइट्रोजन युक्त उर्वरक के निर्माण में
  • नाइट्रोजन को विद्युत बल्ब में भरा जाता है
  • फिल्मों नाटकों व समारोह पर कृत्रिम धुवा और बादल दर्शाने में
  • बैलों के वीर्य को सुरक्षित रखने में द्रवित नाइट्रोजन का उपयोग किया जाता है

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नाइट्रोजन चक्र

वायुमंडलीय नाइट्रोजन का विभिन्न क्रियो के द्वारा पहले जीवो में प्रवेश करना उसके बाद पुनः वातावरण में आ जाना नाइट्रोजन चक्र कहलाता है

पौधे वायुमंडल को नाइट्रोजन को सीधे उपयोग नहीं कर पाते हैं पौधे नाइट्रोजन को भूमि से नाइट्रेट्स योग के रूप में ही उपयोग कर पाते हैं यह योग मृदा में उपस्थित होते हैं तथा इसका अवशोषण मृदा जल के साथ करते हैं किंतु जीवाणु तथा नीले हरे सेवा स्वतंत्र नाइट्रोजन को नाइट्रेट्स में परिवर्तन करने में सक्षम होते हैं तथा मृदा की उर्वरकता को बढ़ाते हैं

नाइट्रोजन चक्र के मुख्य चरण

  1. नाइट्रोजन का स्तरीकरण
  2. अमूनीकरण
  3. नाइट्रीकरण
  4. विनाइट्रीकरण

नाइट्रोजन का स्थिरीकरण -नाइट्रोजन को उसके यौगिक में परिवर्तन करने की प्रक्रिया को ही नाइट्रोजन का योगिकीकरण या स्थिरीकरण कहते हैं यह क्रिया दो वीडियो द्वारा होती हैं

भौतिक रासायनिक स्थितिकरण प्रकृति में बादलों में उत्पन्न बिजली चमकने से तथा वर्षा इत्यादि के समय नाइट्रोजन गैस ऑक्सीकरण से सहयोग कर वायुमंडल में नाइट्रस ऑक्साइड का निर्माण करती है नाइट्रस ऑक्साइड पुणे ऑक्सीकरण होकर नाइट्रोजन पेरोक्साइड में बदल जाती है तथा वर्ष के जाल में मिलकर नाइट्रस व नाइट्रिक अम्ल में परिवर्तन होकर मृदा में आकर पौधे द्वारा अवशोषित हो जाती है

जैविक नाइट्रोजन स्थिरीकरण – मृदा में अनेक सूक्ष्मजीव जैसे जीवाणु तथा नील हरित शैवाल स्वतंत्र रूप से पाए जाते हैं यह जीवाणु स्वतंत्र नाइट्रोजन को उसके यौगिक में परिवर्तित कर देते हैं यह जीवाणु एजोटोबेक्टर आदि है यह सभी सूक्ष्मजीव नाइट्रोजन का योगिकीकरण करके मृदा की वार्ता को बढ़ाते हैं अनेक सूक्ष्मजीव पौधे की कोशिकाओं में सहजीवी के रूप में रहकर नाइट्रोजन का योगिकीकरण करते हैं इसका मुख्य उदाहरण लेजियूमिनोसी कल के पौधे में मटर को लिए पादपो की जड़ों में राइजोबियम नामक जीवाणु सहजीवी के रूप में पाया जाता है यह वायुमंडल की नाइट्रोजन को नाइट्रेट के रूप में बदलकर पादप को प्रदान करता है इस प्रकार पादप अपनी नाइट्रोजन की आवश्यकता की पूर्ति करता है इस प्रकार जीवाणु पौधों की जड़ों में सहजीवी के रूप में रहते हैं जीवाणुओं को रहने हेतु आश्रय के साथ-साथ पोषण हेतु कार्बोहाइड्रेट भी प्राप्त होते हैं लेगमिमोसिस कल की फसल को काटने के पश्चात इसकी जड़े भूमि में ही रह जाती है जिससे उसे मृदा को प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन उपलब्ध होती है इस कारण अगली उगने वाली फसल को लाभ पहुंचता है यही कारण है कि दो फसलों के बीच फलीदार फैसले को उगाया जाता है जिससे प्राकृतिक रूप में नाइट्रोजन से भूमि की उभरा शक्ति को बढ़ाया जा सके तथा अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके

अमूनीकरण प्रोटीन से अमोनिया के निर्माण की क्रिया को अमूनीकरण कहते हैं तथा इस क्रिया में भाग लेने वाले जीवाणुओं को अमोनिक कारक जीवाणु रहते हैं अमूनीकरण के दौरान प्रोटीन को अमीनो अम्ल में परिवर्तित कर दिया जाता है इस क्रिया में भाग लेने वाले जीवाणु पीएसईउदोमोनास है फिर अमीनो अम्लों में अमोनिया का निर्माण होता है यह अमोनिया मृदा तथा जल में एकत्रित होती रहती हैं

 नाइट्रीकरण– अमोनिया का ऑक्सीकरण करने से नाइट्रेट के निर्माण की क्रिया को नाइट्रीकरण कहते है। अमोनिया को नाइट्रोसोमोनास नाइट्राइट में बदलते है और नाइट्राइट को नाइट्रोबैक्टर नाइट्रेट में बदलते हैं। इन सभी बैक्टीरियाओं को नाइट्रीफाइंग बैक्टीरिया कहते है कार्य नाइट्रीकरण कहलाता है। तथा यह कार्य  नाइट्रीकरण

विनाइट्रीकरण– कुछ जीवाणु नाइट्रेट को नाइट्रोजन या नाइट्रस ऑक्साइड में परिवर्तित कर देते है, इस प्रकार नाइट्रेट का पुनः वायुमण्डलीय नाइट्रोजन में बदलना विनाइट्रीकरण कहलाता है।

Note – पौधे वायुमण्डलीय नाइट्रोजन को नाइट्रेट (NO₂) के रूप में ग्रहण करते है।

प्रमुख नाइट्रोजन स्थिरीकारक जीवाणु निम्नलिखित है-

  1. क्लॉस्ट्रिडियम – अवायवीय, मुक्तजीवी व मृदोत्पन्न ।
  2. एजेटोबैक्टर – वायवीय, मुक्तजीवी, मृतोपजीवी व मृदोत्पन्न।
  3. राइजोबियम् – सहजीवी, मृतोपजीवी व मृदोत्पन्न ।
  4. क्लेबसिएला – सहजीवी, मृतोपजीवी व वायोत्पन्न।
  5. क्लोरोबियम – अवायवीय, आत्मपोषी व मुक्तजीवी ।
  6. रोडोस्पाइरिलम – अवायवीय, आत्मपोषी व मुक्तजीवी ।

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