Greenhouse Effect And Warming ग्रीन हाउस इफेक्ट एंड वार्मिंग हरित गृह प्रभाव और तापन दोस्तों हरित गृह प्रभाव क्या है क्या आप जानते हैं हम बताते हैं कि हरित गृह प्रभाव क्या है उससे हमारी पृथ्वी को क्या नुकसान पहुंच रहा है हरित गृह प्रभाव ठंडी जलवायु वाले स्थान मेंपौधों को गर्माहट देने के लिए बनाए जाने वाले पारदर्शी कांच के पौधों घर यानी ग्रीन हाउस में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड जलवाष्प अधिक थी किसी तरह उसका को रोककर ग्रीन हाउस के अंदर गरमाद बनाए रखते हैं इसलिए उसका को रोकने की इस प्रक्रिया को ग्रीन हाउस प्रभाव नाम दिया गया है और इस प्रभाव को उत्पन्न करने वाले गैसों को ग्रीन हाउस गैस से कहते हैं इससे हमारे वायुमंडल बहुत से नुकसान हो रहे हैंओजोन परत को नुकसान हो रहा है आज हम इसी के बारे में आपके संपूर्ण जानकारी देने वाले है
हरित गृह प्रभाव और वैश्विक तापन
पृथ्वी का बढ़ता हुआ ताप 21वीं साड़ी की प्रमुख विश्व व्यापी पर्यावरणीय समस्या है यह समस्या मानवीय क्रियाकलापों को ही देन है वातावरण में बढ़ती हुई ग्रीन हाउस गैसों की सांद्रता के कारण पृथ्वी सतह के नजदीक यह गैसीय परत बन जाती है जो प्रकाश करने को आने तो देती हैं परंतु जाने नहीं देता इस कारण पृथ्वी सतह के तापमान में बढ़ोतरी हुई है और संपूर्ण पृथ्वी पर बढ़ते तापमान को ही तापीय वैश्वीकरण या ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं इस प्रभाव हेतु उत्तरदाई गैस कार्बन डाइऑक्साइड है वैश्विक ताप के संबंध में उचित जानकारी प्राप्त करने हेतु संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1988 में आईपीसीसी का गठन किया
वैश्विक ताप वृद्धि के कारण
वैश्विक ताप वृद्धि के मुख्यतः दो कारक
- ग्रीन हाउस प्रभाव 2. ओजोन परत का क्षरण
ग्रीन हाउस प्रभाव
हरित गृह प्रभाव की व्याख्या सबसे पहले फ्रेंच गणितज्ञ जे. कोरियर ने 1827 में की सूर्य से आने वाली करने के पृथ्वी पर निरंतर आने से और उचित मात्रा में उनके पुनः विकृत होकर वापस न होने से वायुमंडल के ताप में वृद्धि हो जाती है इसे ही ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं ग्रीन हाउस प्रभाव का मुख्य कारण ग्रीन गैस से कार्बन डाइऑक्साइड 60% मेथेन 20% सीएफसी क्लोरोफ्लोरोकार्बन फ्रेन 14% मेथेन 6% अन्य जलवाष्प सर्वाधिक उत्तरदाई घटक ओजोन गैस नाइट्रोजन के ऑक्साइड सल्फर डाई ऑक्साइड सल्फर हेक्साफ्लोराइड आदि ग्रीन हाउस गैसों में कार्बन डाइऑक्साइड वातावरण में सर्वाधिक मात्रा में है ग्रीन हाउस प्रभाव में 16 कैसे हैं जिनमें मीथेन का प्रभाव सर्वाधिक होता है
नोट :- किस संबंध क्योटो प्रोटोकॉल संधि है
क्योटो प्रोटोकॉल – यह एक जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को अवरुद्ध करने के लिए 6 हरित ग्रह हैं ग्रीन हाउस गैसेस के समूह को नियंत्रित करने का एक प्रयास है और यह 1997 में क्योटो संधि के नाम से आधारित हुआ
क्लोरो क्लोरो कार्बन या फ्रीऑन जब कार्बन परमाणु अपनी संयोजकता क्लोरीन तथा क्लोरीन परमाणु से पूर्ण करता है तो इस प्रकार बने योग क्लोरोफ्लोरोकार्बन कहलाते हैं जिन्हें फ्रीऑन भी कहते हैं
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फ्रीयोन के उपयोग
रेफ्रिजरेटर एयर कंडीशनर शीत संग्रहालय में प्रसितक के रूप में
अक्रिय विलायक के रूप में
ओजोन परत क्षरण
ओजोन परत सूर्य के प्रकाश की घातक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर हमारी रक्षा करती हैं इसलिए ओजोन परत को सुरक्षा की छतरी भी कहते हैं ओजोन परत की मोटाई डोप्शन यूनिट में पाई जाती है ओजोनके प्रमुख उत्तरदाई गैस क्लोरोफ्लोरोकार्बन एवं फ्री ऑन गैस है सीएफसी दीर्घ जीवी गैस होती है एक बार वायुमंडल में पहुंचने के बाद यह नष्ट नहीं होती है और जॉन पर हमला कर उसे नष्ट करती रहती हैं एसी फ्रिज तथा जेट इंजनों से निकलते हुए क्लोरोफ्लोरोकार्बन फ्रिज की बढ़ती सांद्रता के कारण अंटार्कटिका महाद्वीप में ओजोन परत की मोटाई अत्यधिक कम हो गई है जिसे ओजोन छिद्र कहा जाता है
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ओजोन परत के संरक्षण के लिए वियना सम्मेलन में पारित प्रोटोकॉल अंतरराष्ट्रीय संधि हुई अर्थात यह संधि ओजोन परत को चिन्ह करने वाले पदार्थ को उत्सर्जित होने से रोकने के लिए बनाई गई है 16 सितंबर 2009 तक संयुक्त राष्ट्र संघ के सभी देशों ने इस संधि की पुष्टि की थी
वैश्विक ताप वृद्धि के कारण उत्पन्न भयानक परिणाम
- भूमंडलीय ताप के बढ़ने से ध्रुवीय बर्फ व पहाड़ों के बर्फ के पिघलने से नदियों और समुद्र का जल स्तर बढ़ेगा जिससे तटीय क्षेत्र जल मग्न हो रहे हैं और बड़ी संख्या में जनसंख्या का विस्थापन हो रहा है समुद्री जलस्तर में वृद्धि के कारण विश्व के लगभग 27 देश एवं द्वीप प्रभावित होंगे ताप वृद्धि के कारण समुद्री जीवों पर पूरा प्रभाव पड़ेगा एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2016 में समुद्र तल में 110 म से 770 म तक की वृद्धि हो सकती है
- तापमान में वृद्धि कार्बनिक पदार्थ के अवयविक अपघटन को बढ़ावा देगी और बर्फ से ढके साइबेरियन तंद्रा के पिघलने व गर्म होने से बड़ी मात्रा में मीथेन गैस बनेगी मेथेन हरित गृह प्रभाव के दृष्टि से कार्बन डाइऑक्साइड से 21 गुना शक्तिशाली है इसलिए यह हरित गृह प्रभाव को और तेज बना देगी
- ताप वृद्धि के कारण मौसम में लगातार परिवर्तन हो रहे हैं जिससे अनावृष्टि अतिवृष्टि काल और गर्म हवाओं का प्रकोप बढ़ने की संभावना है ताप वृद्धि के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं और भविष्य में पीने योग्य ताजा पानी की समस्या हो सकती
- वैश्विक तापन से मानव जीवन में अनेक महामारियों के उत्पन्न होने की समस्या बढ़ती जा रही है जैसे मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियां बढ़ रही है और चर्म रोग कैंसर में वृद्धि हो रही है
- ताप वृद्धि से प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो रही है जैसे विश्व के अनेक भागों में बाढ़ की स्थिति भूकंप ज्वालामुखी सुनामी का कहर
- वैश्विक तापन से धरती बंजर होती जा रही है जिससे फसलों के उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि पृथ्वी के कई हिस्सों में एक सा मौसम लंबे समय तक बना रहेगा
वैश्विक ताप वृद्धि रोकने के उपाय
क्लोरोफ्लोरोकार्बन जैसे मानव जनित घातक रसायनों के उत्पादकों को सीमित करने का उपाय ढूंढना चाहिए
- प्राकृतिक संसाधनों का विवेक पूर्ण उपयोग तथा वैकल्पिक स्रोतों का विकास करना चाहिए
- जनसंख्या की तीव्र वृद्धि पर प्रभावी अंकुश लगाना चाहिए
- वनों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगनी चाहिए तथा वृक्षारोपण द्वारा वन क्षेत्र में विस्तार करना चाहिए
- पर्यावरण संरक्षण के बढ़ावा देने हेतु जन सहभागिता कार्यक्रम संचालित करना चाहिए
- ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का विकास किया जाना चाहिए जिससे CO2 व प्रदूषण गैसों के उत्पादन में कमी आएगी
- पर्यावरण प्रदूषण व ग्रीन हाउस गैस का उत्पादन रोकने हेतु अंतरराष्ट्रीय कानून व संधियों का कठोरता से पालन होना चाहिए
- क्योटो प्रोटोकॉल यह एक जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को अवरुद्ध करने के लिए 6 हरित गृह गैस ग्रीनहाउस गैसेस के समूह को नियंत्रित करने का एक प्रयास है और यह 1997 में क्योटो संधि के नाम से आधारित हुआ
कार्बन डाइऑक्साइड – आग बुझाने में प्रकाश संश्लेषण में
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