Electricity And Magnetism दोस्तों आज की अध्याय में हम विद्युत एवं चुंबकत्व के बारे में जानेंगे विद्युत यानी तो आप सभी जानते हैं संपन्न जीवन के लिए विद्युत एक आवश्यक संसाधन है यह हमारे दैनिक जीवन में काम आता है बिजली के बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव सा हो गया है हम कोयल तथा प्राकृतिक गैस का उपयोग करकेबिजली का निर्माण करते हैं हालांकि लोगों को एहसास नहीं है कि प्राकृतिक संसाधन सीमित है हमें बिजली का संरक्षण करना चाहिए ताकि हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए संसाधन उनके लिए बचा के रखें आज के संध्या में विद्युत के बारे में विद्युत कैसे काम करती हैकैसे बनती हैशादी के बारे में आपको सरल व साधारण भाषा में नोट उपलब्ध करवाएंगे आप हमारे साथ बने रहे
विद्युत आवेश
सर्वप्रथम 600 ईसवी पूर्व यूनान के वैज्ञानिक थेल्स ने बताया कि अंबर नामक पदार्थ को ऊन से रगड़ने पर उसे हल्की वस्तुएं जैसे रुई कागज की छोटी टुकड़ों आदि को आकर्षित करने का गुण आ जाता है
सन 1600 में गिल्बर्ट ने सिद्ध किया कि आकर्षित करने का गुण लगभग सभी पदार्थों में अलग-अलग मात्रा में उपस्थित होता है
सन 1646 में सर थॉमस ब्राउन ने इस आकर्षण के गुण को विद्युत कहा
ग्रीक भाषा में अंबर को इलेक्ट्रॉन कहते हैं अतः आधार पर इस आकर्षक गुण को इलेक्ट्रिक सिटी कहा जाता है
अंबर एक पीला गोंद की तरह का पदार्थ होता हैजो की बाल्टिक सागर में पाया जाता है
आवेश की प्रकृति
सन 1750 में बेंजामिन फ्रैंकलिन ने अपने प्रयोग से प्राप्त परिणामों के आधार पर सिद्ध किया कि आवेश दो प्रकार का होता है धनावेश, ऋणlवेश
समान प्रकृति के आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित तथा विपरीत प्रकृति के आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते हैं
दो वस्तुओं को परस्पर रगड़ने पर उत्पन्न आवेश निम्न प्रकार से होते हैं
क्र.स. | धनावेश | ऋणlवेश |
1 | काच की छड | संश्लेषित वस्त्र |
2 | फर या उनी वस्तु | अंबर या रबर |
3 | नायलोन | प्लास्टिक शीट |
4 | सूखे बाल | कंगी |
आवेश का एसआई मात्रक कुलोंम (c )
CGS पद्धति में आवेश का मात्रक स्थेत कलोंम होता है
आवेश का विद्युत चुंबकीय मात्रक कुलोंम होता है
आवेश का सबसे छोटा मात्रक फ्रैंकलिन तथा आवेश का सबसे बड़ा मात्रक फैराडे होता है
एक फेराड़े = 96500 कूलोम
आवेश का प्रयोगिक मात्रक = अंपायर गुना *घंटा (ah)
आवेश उत्पन्न करने की विधियां
घर्षण द्वारा आवेशन
दो पदार्थों को परस्पर घर्षण करने पर इलेक्ट्रॉन एवं वास्तु से दूसरी वस्तु पर स्थानांतरित हो जाते हैं जिसमें एक वस्तु पर धन आवेश तथा दूसरी वस्तु पर ऋण आवेश उत्पन्न हो जाता है
प्रेरण द्वारा आवेशन
जब किसी आवेशित वस्तु के समय अन्य अन्वेषित वस्तु लाई जाती हैं तो अन्वेषित वास्तु के पृष्ठ पर विपरीत प्रकृति का आवेश उत्पन्न हो जाता है
दो वस्तुओं को परस्पर संपर्क में ले बिना आवेश उत्पन्न करने की प्रक्रिया प्रेरण कहलाती है
संपर्क द्वारा आवेशन
अन्वेषित चालक को आवेशित चालक के संपर्क में लाने पर आवेश का स्थानांतरण होता है तथा आवेश दोनों वस्तुओं में विभाजित हो जाता है
विद्युत क्षेत्र
एक धन आवेश या ऋण आवेश अपने चारों ओर एक क्षेत्र उत्पन्न करता है अतः किसी आवेश के चारों ओर वह क्षेत्र जिसमें अन्य आवेशित करने एवं बाल का अनुभव करें विद्युत क्षेत्र कहलाता है
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता
विद्युत क्षेत्र में किसी बिंदु पर स्थित एकांक धन आवेश जितने बाल का अनुभव करता है उसे बिंदु पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं
विद्युत विभव
एक इकाई धन आवेश को अनंत बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य को विद्युत विभव कहते हैं इसकी इकाई वोल्ट होती है
SI मात्रक = जूल/कूलाम=वॉल्ट
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विभवांतर
विद्युत क्षेत्र में एकांत धन आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध विस्थापित करने में किए गए कार्य को दोनों बिंदुओं के मध्य विभावांतर कहते हैं
इसका मापनवोल्टमीटर द्वारा किया जाता है और इसे समांतर क्रम में लगाते हैं
विद्युत धारा
विद्युत धारा विद्युत परिपथ में किसी बिंदु में एक सेकंड से गुजरने वाली इलेक्ट्रॉनों की संख्या ही विद्युत धारा है अर्थात आवेश प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं
विद्युत धारा=आवेश/समय
= कूलाम/सेकंड=एम्पीयर
विद्युत धारा का मात्रक एम्पियर होता है
विद्युत धारा का मापन अमीटर द्वारा किया जाता है और इस श्रेणी क्रम में लगाते हैं
चालक जिन वस्तुओं में विद्युत प्रवाहित होती है उन्हें चालक सुचालक कहते हैं
जैसे चांदी तांबा टंगस्टन लोहा प्लैटिनम पारा एवं अल्युमिनियम आदि
कुचालक (विद्युत रोधी) जिन वस्तुओं में विद्युत प्रवाहित नहीं होती उन्हें कुछ अलग रहते हैं
जैसे कार्बन, जर्मेनियम, सिलिकॉन आदि
विद्युत धारा की दिशा हमेशा इलेक्ट्रोनिक के विपरीत दिशा में होती है इलेक्ट्रोनिक कैथोड- से एनोड+ की तरफ गतिशील होते हैं जबकि विद्युत धारा उल्टी यानी कि एनोड+से कैथोड- की तरफ गतिशील होती है
घरों में काम आने वाली विद्युत युक्तियां हीटर प्रेस विद्युत केतली टोस्टर ओवन आदि विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव पर कार्य करती हैं
ट्यूबलाइट एक विसर्जन नली होती हैं जिसकी दीवारों पर प्रति व्यक्ति पदार्थ कैल्शियम टंगस्टन जिंक सिलीकेट या कैल्शियम बर्ट का लेप होता है गैस विसर्जन नलिका में दृश्य क्षेत्र की तरंग के साथ सूक्ष्म तरंगों का भी उत्सर्जन करती हैं जब यह तरंगे ट्यूबलाइट के लेपित पदार्थ पर गिरती है टू लिप इन्हें अवशोषित कर दृश्य तरंगों का उत्सर्जन करता है जिससे परिणामी प्रकाश की तीव्रता बढ़ जाती हैं
ओम का नियम
सन 1826 में जर्मन वैज्ञानिक डॉक्टर जॉर्ज साइमन ओम ने किसी चालक के सिरों पर लगाए गए विभवांतर तथा उसमें प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा का संबंध एक नियम द्वारा व्यक्त किया जिसे ओम का नियम कहते हैं
ओम के नियम के अनुसार यदि किसी चालक तार की भौतिक अवस्थाएं स्थिर रहती हैं तो इसमें सिरों पर उत्पन्न विभावांतर उसमें प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है]
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