Economic Importance Of Forests In Rajasthan | राजस्थान में जंगलों का आर्थिक महत्व नोट्स इन हिंदी

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Economic Importance Of Forests In Rajasthan

Economic Importance Of Forests In Rajasthan राजस्थान में जंगलों का आर्थिक महत्व पिछले अध्याय में हमने वन विभाग एक नजर में प्रदेश का वानिकी परिदृश्य ग्रीनवाश के बाहर वनावरण वनों के प्रकार वैज्ञानिक दृष्टि से राज्य में वनों की स्थिति वनों का भौगोलिक वितरण आदि के बारे में पिछले दो अध्याय में हमने जान कारी प्राप्त की आज की अध्याय में हम वनस्पति का आर्थिक महत्व राजस्थान के जंगलों का आर्थिक महत्व के बारे में पिछले दो अध्याय के जैसे ही सरल और सिंपल नोट्स आपको प्रोवाइड करवा रहे हैं आप हमारे साथ बने रहे

Economic Importance Of Forests In Rajasthan

वनस्पति का आर्थिक महत्व

  • वनों से दो प्रकार की उपज प्राप्त होते हैं
  • मुख्य उपजे  एवं गोण उपजे 
  • इमारती लकड़ी इधन लकड़ी मुख्य उपज हैं तथा बांश घास कत्था गोंद तेंदू शहद महुआ आदि गुण उपज है 
  • खैर वर्षों के तनों से हांडी प्रणाली द्वारा कत्था तैयार किया जाता है चौहटन क्षेत्र बाड़मेर का मरुस्थलीयभूभाग गोंद के लिए प्रसिद्ध हैकदंब वृक्ष से गोंद उतार जाता है वाला की छाल चमड़ा साफ करने में काम आती है
  • द्वितीय पंचवर्षीय योजना में राज्य सरकार ने अपनी वन नीति घोषित की
  • केंद्रीय सरकार ने जोधपुर में वन अनुसंधान विभाग की स्थापना प्रथम पंचवर्षीय योजना में की थी
  • प्रथम योजना में 8 पशु पक्षी क्रीडा स्थलों का निर्माण किया गया
  • सातवीं पंचवर्षीय योजना में सामाजिक वानिकी परियोजना अपनाई गई इसमें वृक्षों की खेती कृषि वानिकी आदि आते हैं
  • पलाश वृक्ष फूलों से लदा फ्लेम ऑफ़ द फॉरेस्ट कहलाता है
  • राज्य वृक्ष खेजड़ी भारतीय मूल का प्राचीन वृक्ष है है जिसे भारतीय धर्म ग्रंथो में शमी वृक्ष के नाम से जाना जाता है
  • खेजड़ी को थार का कल्पवृक्ष कहा जाता है
  • इसका वैज्ञानिक नाम प्रोसेपिस सीनेरेरिया है 
  • इसे स्थानीय भाषा में जाटी वृक्ष भी कहते हैं खेजड़ी की पत्तियों को लूंम एवं खेजड़ी की फलियों को सांगरी कहा जाता है
  • खेजड़ी वृक्ष चिपको आंदोलन का प्रेरणा स्रोत रहाहै
  • राज्य का दक्षिणी पूर्वी भाग घने जंगलों का वन्य प्राणियों की दृष्टि सेसमृद्ध है
  • राजस्थान को वन प्रबंधन हेतु 13 व्रत में बांटा गया है

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जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव

खेजड़ली जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव में सन 1730 में विष्णु संप्रदाय के 30063 स्त्री पुरुषों ने अमृता देवी के नेतृत्व में वृक्ष काटने पर बढ़ाने हेतु पेड़ों से लिपटकर अपने प्राणों की आहुति दे दी इनके बलिदान के स्मृति में खेजड़ली ग्राम में पत्र पद शुक्ल दशमी को हर वर्ष शहीद दिवस मनाया जाता है एवं विशाल मेला भरता है राज्य में जीवों की दक्षता पहले बलिदान संघ 1604 में जोधपुर रियासत के ही राम सादड़ी गांव में कर्म व गोरा नामक व्यक्तियों द्वारा दिया गया

साइंटिस कन्वेंशन फॉर इंटरनेशनल ट्रेडइन एंडेंजर्ड स्पीशीज ऑफ वर्ल्ड फ्लोरा एंड फौनालुप्त होने के संकट से ग्रस्त वन्य जीवों व वनस्पति के संरक्षण हेतु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनके व्यापार को व्यवस्थित करने की दृष्टि से मार्च 1975 में भारत सहित 10 राष्ट्रों के बीच यह समझौता साइट्स लागू करवाया

कैलाश सांखला वन्य जीव संरक्षण पुरस्कार 2002 यह पुरस्कार मरणोपरांत अमर शहीद छेलूसिंह नानरोत को दिया गया है  वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति को दिए जाने वाले इस पुरस्कार में ₹50000 रुपए व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है 

राजीव गांधी पर्यावरण संरक्षण पुरस्कार प्रत्येक वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को प्रदान किया जाता है जिसमें ₹500000 रजत कमल ट्राफी एवं प्रशंसा प्रमाण पत्र दिए जाते हैं

उत्तर भारत का प्रथम सर्प उद्यान कोटा जिले में स्थापित किया गया है

टिमरू तेंदूपत्ते का स्थानीय नाम यह मुख्यतः झालावाड़ व प्रतापगढ़ जिलों में होता है

वानिकी प्रशिक्षण संस्थान जयपुर अलवर एवं जोधपुर में है शुष्क वन अनुसंधान संस्थान जोधपुर में स्थित है

सामाजिक वानिकी योजना वर्ष 1985 – 86 से प्रारंभ इस योजना के तहत पंचायती राज संस्थाओं स्वयंसेवी संस्थाओं व स्थानीय व्यक्तियों को छोटे-छोटे पेड़ दिए जाते हैं जिन्हें बंजर भूमि सड़कों व नेहरू के किनारे तथा रेल पटरी के दोनों तरफ लगाया जाता है वह पूरी देख रही है से विकसित किया जाता है 

विश्व खाद्य कार्यक्रम योजना

इस योजना से संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन के सहयोग से राज्य के जनजाति बाहुल्य क्षेत्र में वानिकी कार्यों में लगे श्रमिकों को पारिश्रमिक के एक भाग के एवं खाद्य सामग्री वितरित की जाती हैं इस प्रकार जनित से उदयपुर बांसवाड़ा चित्तौड़गढ़ एवं बारा जिलों के दुर्गम वन क्षेत्र में जन कल्याण के कार्य करवाए जाते हैं यह कार्यक्रम 13 जिलों में चलाई जा रहा है

मरू वृक्षारोपण कार्यक्रम

मरुस्थ क्षेत्र के 10 जिलोंबाड़मेर बीकानेर चूरू जैसलमेर जालौर झुंझुनू जोधपुर नागौर पाली व सीकर में व्यापक वृक्षारोपण हेतु केंद्र सरकार परिवर्तित इस योजना में केंद्र राज्य सरकार की 75 : 25 की भागीदारी है इसके तृतीय एवं चतुर्थ चरण को पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से क्रियान्वित किया जा रहा है 

जनता वन योजना

राजस्थान जैसे मरुस्थलीय और कम वर्षा वाले प्रदेश में हरियाली बढ़ाने और जन भागीदारी से ग्राम वनों का विकास करने के उद्देश्य से 21 मार्च 1996 से शुरू की गई इस योजना में वन सुरक्षा एवं प्रबंध समिति पंजीकृत स्वयंसेवी संस्थाएं भूतपूर्व सैनिक संगठन ग्राम पंचायत के माध्यम से वृक्षारोपण कार्य इसका प्रबंध किया जाता है

फार्म वानिकी 

इसमें विभागीय पौधाशालाओं में पौधे आकार किसने विद्यालय पंचायत शहरी लोगों संस्थाओं आदि को वृक्षारोपण हेतु वितरित किए जाते हैं 

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