C.T. Scan, Ultrasounds, MRI, Lazer Kirne शरीर के हार्ड टिशूज (hard tissues) को देखने (visualize) के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला डायग्नोस्टिक इंटरवेंशन है। यह रेडियोलॉजिकल विशेषज्ञों द्वारा संचालित एक रेडियोलॉजिकल इमेजिंग तकनीक है जो शरीर की एक्स-रे इमेजेज की एक श्रृंखला (series) का संयोजन (combination) प्रदान करती है जिसे आगे कंप्यूटर की सहायता से प्राप्त किये उपकरणों द्वारा संसाधित (create) किया जाता है ताकि शरीर में हड्डियों और कोमल टिशूज की क्रॉस-सेक्शनल इमेजेज बनाई जा सकें।
यह बहुत व्यापक मूल्यांकन (comprehensive evaluation) है जो हैल्थ केयर (healthcare) प्रोफेशनल्स को रोग का एक्यूरेट डायग्नोज़ (acute diagnosis) करने में मदद करता है। सामान्य रेडियोग्राफी से द्वीविमीय चित्र ही प्राप्त होते हैं तथा इनमें शरीर की आंतरिक संरचना की अलग-अलग जानकारी प्राप्त नहीं होती है क्योंकि इन चित्रों में आंतरिक संरचनाओं एक दूसरे के ऊपर आ जाती हैं यह समस्याओं को दूर करने के लिए कमयूटेड टोमोग्राफी CT का विकास किया गया है जिसे सामान्य तौर पर CT स्कैन या केट स्कैन कहते हैं.
सीटी स्कैन
सामान्य रेडियोग्राफी से द्वीविमीय चित्र ही प्राप्त होते हैं तथा इनमें शरीर की आंतरिक संरचना की अलग-अलग जानकारी प्राप्त नहीं होती है क्योंकि इन चित्रों में आंतरिक संरचनाओं एक दूसरे के ऊपर आ जाती हैं यह समस्याओं को दूर करने के लिए कमयूटेड टोमोग्राफी CT का विकास किया गया है जिसे सामान्य तौर पर CT स्कैन या केट स्कैन कहते हैं
- सीटी स्कैन का आविष्कार गोल्ड हाउसफील्ड ने 1972 में किया
- इस संवेदनशील तकनीक से शरीर के किसी अंग की आंतरिक संरचना को त्रिविमीय रूप से देखा जा सकता है
- सीटी स्कैन मशीन में विद्युत चुंबकीय किरणों का उपयोग किया जाता है यह एक-X रे मशीन का अधिक संवेदनशील और परिवर्तित रूप है जिससे एक कंप्यूटर जुड़ा होता है सिटी स्कैन मशीन में स्थित कंप्यूटर द्वारा अंग विशेष के चित्र को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर देता है चित्रों के इन छोटे-छोटे भागों को पिक्सल कहते हैं
- अंग पर डाली गई X RAY का अवशोषण उसे अंग के अलग-अलग भागों द्वारा अलग-अलग मात्रा में होता है स-र के अवशोषण की इन अलग-अलग मात्राओं को कंप्यूटर द्वारा ज्ञात करके उसे अंग के बहुआयामी चित्र एक्स-रे फिल्म पर बनाए जाते हैं चिकित्सक इन चित्रों का अध्ययन करके रोग का पता लगते हैं
- सीटी स्कैन का प्रयोग मुख्यतः मस्तिष्क को हुई क्षति एवं मस्तिष्क के विभिन्न भागों में होने वाले रुधिर संरक्षण किडनी स्टोन अपेंडिक्स की जांच के लिए किया जाता है
यह भी जाने – Science and Technology विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
अल्ट्रासाउंड (अल्ट्रा सोनोग्राफी)
अल्ट्रासाउंड में उच्च आवृत्ति व उच्च ऊर्जा की ध्वनि तरंगें प्रयुक्त की जाती हैं जिन्हें परासव्य तरंगे अल्ट्रासाउंड कहते हैं
अल्ट्रा सोनोग्राफी मशीन में स्थित ट्रांसिटयूजर नामक यंत्र से पराश्रव्य तरंगों का उत्पादन किया जाता हैजिस अंग की जांच की जाती है तो वहां त्वचा पर विशेष प्रकार की जेल का लेप लगाते हैं जेल लगाने के बाद उसे पर ट्रांसड्यूसर नामक उपकरण को घुमाया जाता है जिससे थोड़ी-थोड़ी देर से पराश्रव्य ध्वनि तरंगें उसे अंग के ऊतक से टकराती हैं तथा इससे परावर्तित होती हैं इस परावर्तित तरंगों को प्रतिध्वनि या इको कहते हैंपरावर्तित पराश्रव्य तरंगों को विद्युत संकेत में बदल जाता है इन विद्युत संकेतों को दो प्रकार की तरंगों में बदल जाता है
- श्रव्य तरंग
- दृश्य तरंग
श्रव्य तरंगों को चिकित्सक द्वारा सुना जाता है जबकि दृश्य तरंगों को कंप्यूटर पर देखा जाता है इस प्रकार श्रव्य तरंगों से प्राप्त ध्वनि तथा दृश्य तरंगों से प्राप्त चित्रों की सहायता से चिकित्सक रोग के संबंध में निष्कर्ष निकालते हैं वीकीरन से सुरक्षित होने के कारण ही इसका गर्भावस्था प्रति चित्रण में अधिक प्रयोग होता है
अल्ट्रासोनोग्राफी के उपयोग
- शरीर में आई विकृति जैसी घाटे आंतरिक अंगों में सूजन आदि की जांच करने में
- उदर रोगों का पता लगाने में
- गर्भवती स्त्री के गर्भ में पल रहे शिशु के विकास एवं स्वास्थ्य की जांच करने में
नोट – अल्ट्रासोनोग्राफी द्वारा शिशु के लिंग की जांच करवाना कानूनन अपराध है|
एम. आर.आई. (MRI)
- एम. आर.आई. नाभिकीय चुंबकीय अनुनाद के सिद्धांत पर आधारित है जिसके तहत विशिष्ट परमाणु नाभिक बाह्य चुंबकीय क्षेत्र में रखे जाने पर रेडियो आवृत्ति ऊर्जा का अवशोषण एवं उत्सर्जन करते हैं
- एमआरआई स्कैनर में शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र द्वारा मानव उत्तकों के जल अंगों के हाइड्रोजन नाभिक को दुर्वीकृत किया जाता है और इसे प्राप्त सिगनलों को स्थानिक रूप में सैंसुचित कर शरीर की आंतरिक संरचना का चित्र प्राप्त करते हैं
- एमआरआई मशीन हाइड्रोजन परमाणुओं की अनुनादी आवृत्ति पर एक रेडियो आवृत्ति पल्स उत्सर्जित करती है जिसे आर ए एफ एंटीना के नामशरीर की अपेक्षित क्षेत्र में भेजा जाता है इस आर पल्स को ऊतकों के प्रोटॉन अवशोषित करते हैं जिसके कारण प्राथमिक चुंबकीय क्षेत्र के संदर्भ में उनकी दिशा में प्राथमिक चुंबकीय क्षेत्र के संरक्षण में वापस आ जाते हैं तथा इस प्रक्रिया में वह रेडियो तरंगे उत्सर्जित करते हैं जिन्हें सहसंचित कर कंप्यूटर प्रणाली द्वारा इमेज के रूप में तैयार किया जाता है.
लेजर किरणे
- लेजर – लेजर का पूरा नाम लाइट एमप्लीफिकेशन बाय स्टिम्युलेटेड एमिशन ऑफ़ रेडिएशन है
- ये उच्च ऊर्जा तथा विशेष गुणों वाली विद्युत चुंबकीय तरंगे होती हैं साधारण प्रकाश की ऊर्जा को ही विशेष प्रकार से परिवर्तित करके उच्च ऊर्जा की इन किरणों को बनाया जाता है उनकी खोज वैज्ञानिक थियोडोर मैमेंन ने 1960 में की
- यह अत्यंत सूक्ष्म बिंदु पर भी केंद्रित की जा सकती है काफी दूरी तय करने पर भी इसकी तीव्रता में कमी नहीं आती हैलेजर के उपयोग
- कैंसर के उपयोग में
- हृदय की धमनियों में रक्त जमने से उत्पन्न अवरोध को दूर करने में
- आंखों से मोतियाबिंद निकालने में
- शरीर के आंतरिक अंगों के गांव या सूजन को ठीक करने में
- नेत्र दृष्टि दोष दूर करने में
- शरीर में पथरी रोग के निवारण में
- त्वचा के दाग धब्बों को दूर करने में
शल्य चिकित्सा
कभी-कभी अंग विशेष्य तंत्र में विकृति आ जाती हैं तथा चीरा लगाकर रोग ग्रस्त अंग की चिकित्सा की जाती है इसे सल्य क्रिया कहते हैं वर्तमान में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास के कारण शल्य चिकित्सा सरल हो गई है कुछ समय पहले तक शल्य चिकित्सा के लिए शरीर में बड़ा चिराला लगाया जाता हैआजकल शरीर में छोटा सा छेद करके दूरबीन की सहायता से एंडोस्कोपी तथा लेप्रोस्कोपी नमक विधियों से शल्य चिकित्सा की जाती है इससे टांके भी कम लगते हैं तथा घाव भरने में समय भी कम लगता है शल्य चिकित्सा करने से पहले रोगों को सामान्यतः निश्चेतक देकर बेहोश किया जाता है अथवा केवल उसे अंग विशेष को शून्य करके शल्य चिकित्सा की जाती हैंदुर्घटना में हड्डियों क्षतिग्रस्त होने पर पहले लंबे समय तक प्लास्टर बांध कर रखा जाता था आधुनिक शल्य चिकित्सा में विभिन्न उपकरणों के प्रयोग से बिना प्लास्टर बांधे कम समय में इलाज किया जाता है इसी प्रकार कुछ अंगों को बदलकर नए अंग भी लगाए जाते हैं जैसे हृदय प्रतिरोपण नेत्र प्रत्यारोपण वक्र प्रत्यारोपण हड्डियां आदि.
शिक्षा के क्षेत्र में
शिक्षा के क्षेत्र में विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका के उदाहरण है स्मार्ट क्लास रूम एडुसैट के माध्यम से कक्षा अध्ययन ईमेल व इंटरनेट के माध्यम से किताबें लिखना पढ़ाई करना पत्र भेजने गणित की समस्याएं सुलझाना दूरस्थ शिक्षा प्रणाली के तहत घर बैठे शिक्षा प्राप्त करना आदि
कृषि के क्षेत्र में
फसल काटने के विभिन्न मशीनों का उपयोग किया जा रहा है कृषि में उन्नत बीज वर्गों का उपयोग कीटनाशकों का प्रयोग आदि किया जा रहे हैं सिंचाई हेतु कृत्रिम साधनों एवं वैज्ञानिक विधियों जैसे बूंद बूंद सिंचाई फवारा सिंचाई आदि का उपयोग भी विज्ञान के कारण संभव है
मनोरंजन के क्षेत्र में
सिनेमा रेडियो टीवी सी डी डीवीडी प्लेयर एवं कंप्यूटर के माध्यम से नई सीडी तैयार करना संगीत सुनना फिल्म निर्माण धारावाहिक निर्माण फिल्में देखना कार्टून फिल्में बनाना कंप्यूटर गेम खेलना आदि सब वैज्ञानिक आविष्कारों के कारण ही संभव हो सका है
औद्योगिक क्षेत्र में
विज्ञान का सर्वाधिक उपयोग औद्योगिक क्षेत्र में हुआ है क्योंकि उद्योगों में प्रयुक्त सभी मशीन वैज्ञानिक आविष्कार के कारण बनी एवं उनका संचालन भी वर्तमान युग में तो कंप्यूटर से ही संभव है
रक्षा एवं परमाणु शक्ति के क्षेत्र में
हमारे प्राचीन ग्रंथ एवं अन्य शोध को आधार बनाकर विश्व के वैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रयोग एवं अनुसंधान किया राजस्थान में रावतभाटा की परमाणु भट्टी से बिजली बनाना एवं पोखरण में परमाणु परीक्षण आदि विज्ञान की देन है
भारतीय वैज्ञानिक डॉक्टर होमी जहांगीर भाभा ने भारत में परमाणु अनुसंधान की नींव रखी और अनेक अनुसंधान किया
भवन निर्माण एवं वास्तुकला के क्षेत्र में
सीमेंट कंक्रीट के माध्यम से सीसी रोड आरसीसी की छते मल्टी स्टोरी बिल्डिंग तथा अन्य विशाल भवनों का वास्तु कला के आधार पर निर्माण विज्ञान की ही देन है
बैंकिंग के क्षेत्र में
वर्तमान युग में विज्ञान के कारण जब चाहो तब पैसे के लिए एटीएम क्रेडिट कार्ड इंटरनेट से धन को एक खाते में ट्रांसफर ई-कॉमर्स जैसे बैंक संबंधी विभिन्न कार्य विज्ञान की ही देन है
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